पाकिस्तान के परमाणु खतरे से अमेरिका की चिंताएं बढ़ीं
पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम ने अमेरिका की चिंताओं को बढ़ा दिया है। वाशिंगटन की खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान गुप्त रूप से एक परमाणु-संचालित अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल विकसित कर रहा है, जो अमेरिका तक पहुँच सकती है। इस स्थिति के चलते अमेरिका ने पाकिस्तान पर नए प्रतिबंध लगाए हैं। जानें इस मुद्दे की गहराई और पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार के विकास की रणनीति के बारे में।
Jun 25, 2025, 13:19 IST
पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम और अमेरिका की प्रतिक्रिया
भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के सेना प्रमुख मुल्ला मुनीर को फील्ड मार्शल का दर्जा दिया गया है। हालांकि, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उनके साथ लंच पर चर्चा कर रहे हैं। लेकिन पाकिस्तान की हरकतें अमेरिका के लिए चिंता का विषय बन गई हैं। वाशिंगटन की खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तान के खतरनाक परमाणु योजनाओं का खुलासा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी सेना गुप्त रूप से एक परमाणु-संचालित अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) विकसित कर रही है, जो अमेरिका तक पहुँच सकती है। 'फॉरेन अफेयर्स' की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान चीन के सहयोग से अपने परमाणु शस्त्रागार को उन्नत करने की कोशिश कर रहा है। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यदि पाकिस्तान ऐसी मिसाइल हासिल करता है, तो अमेरिका उसे परमाणु विरोधी घोषित कर देगा।
पाकिस्तान का परमाणु शस्त्रागार
पाकिस्तान हमेशा से यह दावा करता आया है कि उसका परमाणु कार्यक्रम भारत के खिलाफ सुरक्षा के लिए है। इसकी रणनीति छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलों के विकास पर केंद्रित रही है। अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें (ICBM) जो परमाणु और पारंपरिक दोनों प्रकार के हथियारों से लैस हो सकती हैं, 5,500 किलोमीटर से अधिक दूरी तक के लक्ष्यों को भेदने में सक्षम हैं। वर्तमान में, पाकिस्तान के पास कोई ICBM नहीं है। 2022 में, पाकिस्तान ने शाहीन-III नामक मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया, जो 2,700 किलोमीटर से अधिक दूरी तक के लक्ष्यों को भेद सकती है, जिससे कई भारतीय शहर इसकी जद में आ गए हैं।
अमेरिकी प्रतिबंध और चिंता
अमेरिका इस मुद्दे को गंभीरता से देख रहा है। पिछले वर्ष, वाशिंगटन ने पाकिस्तान के लंबी दूरी के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम पर नए प्रतिबंध लगाए थे। ये प्रतिबंध मिसाइल कार्यक्रम की निगरानी करने वाली सरकारी एजेंसी नेशनल डेवलपमेंट कॉम्प्लेक्स और अन्य फर्मों पर लगाए गए थे। अमेरिका ने इन संस्थाओं से संबंधित संपत्तियों को जब्त कर लिया और अमेरिकी कंपनियों को उनके साथ व्यापार करने से रोक दिया। पाकिस्तान ने इस कदम को 'पक्षपातपूर्ण' बताया, जबकि अमेरिकी कार्रवाई विदेश विभाग के एक तथ्यपत्र पर आधारित थी, जिसमें कहा गया था कि इस्लामाबाद अपने लंबी दूरी के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के लिए घटक प्राप्त करना चाहता था। पाकिस्तान, जिसके पास लगभग 170 परमाणु हथियार हैं, परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है, जिसका उद्देश्य परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना है।