पाकिस्तान के बलूचिस्तान में विद्रोहियों का बढ़ता प्रभाव
बलूचिस्तान संघर्ष: पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा पर संकट
बलूचिस्तान संघर्ष पाकिस्तान: पाकिस्तान के बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। हाल ही में, पाक सीनेटर कामरान मुर्तजा ने एक चौंकाने वाला बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में अब पाकिस्तानी सेना और सरकार का नियंत्रण बहुत सीमित रह गया है। उनका यह बयान इस ओर इशारा करता है कि विद्रोही गुट और बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) अब स्वतंत्र रूप से कार्य कर रहे हैं और कई स्थानों पर अपनी 'सरकार' चला रहे हैं। यह कबूलनामा पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा और केंद्र सरकार की कमजोरी को उजागर करता है।
इस स्थिति का सबसे अधिक प्रभाव स्थानीय नागरिकों और सुरक्षा ढांचे पर पड़ा है। बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा में सेना का नियंत्रण अब केवल पांच किलोमीटर के दायरे तक सीमित रह गया है। कामरान ने संसद में यह सवाल उठाया कि यदि मंत्री, सांसद और सरकारी अधिकारी सड़क मार्ग से सुरक्षित यात्रा नहीं कर सकते, तो क्या वास्तव में पाकिस्तान का शासन वहां मौजूद है। इस बयान ने न केवल देश में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा को जन्म दिया है। विद्रोहियों ने इसे अपनी जीत के रूप में प्रस्तुत किया है और स्थानीय लोगों में असंतोष बढ़ रहा है।
पाक सांसद का चौंकाने वाला कबूलनामा
सीनेटर कामरान मुर्तजा ने संसद में खुलासा किया कि बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा के अधिकांश क्षेत्र विद्रोहियों के नियंत्रण में हैं। उनका कहना था कि सेना इन क्षेत्रों में केवल सीमित अधिकारों के साथ मौजूद है, जो सरकार की गंभीर कमजोरी को दर्शाता है।
बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) की बढ़ती ताकत
BLA और अन्य विद्रोही गुट स्थानीय लोगों के अधिकार और स्वतंत्रता की मांग कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में पाकिस्तान सेना के 15 सैनिकों की हत्या की जिम्मेदारी ली और कई क्षेत्रों में अपनी “सरकार” स्थापित कर ली है।
स्थानीय प्रशासन और जनता पर असर
सड़क मार्गों पर विद्रोहियों का कब्जा स्थानीय प्रशासन और आम जनता दोनों के लिए चुनौती बन गया है। कई सरकारी अधिकारी और सांसद सड़क मार्ग से सुरक्षित यात्रा नहीं कर पा रहे हैं, जिससे प्रशासनिक कामकाज प्रभावित हो रहा है।
पाक सेना की चुनौती और असफलताएं
पाकिस्तानी सेना इन विद्रोहियों को दबाने के प्रयास में लगी है, लेकिन सफलता सीमित रही है। बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में विद्रोहियों का बढ़ता प्रभाव पाक सेना और केंद्र सरकार के लिए गंभीर सुरक्षा चुनौती बना हुआ है।