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पाकिस्तान ने एससीओ की आतंकवाद विरोधी एजेंसी की अध्यक्षता संभाली

पाकिस्तान ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की आतंकवाद विरोधी एजेंसी की अध्यक्षता संभाली है, जिसे भारत पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार मानता है। यह स्थिति भारत के लिए नई कूटनीतिक चुनौतियाँ पेश कर रही है। जानें इस बदलाव के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

पाकिस्तान की नई भूमिका

पाकिस्तान अब शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की आतंकवाद विरोधी एजेंसी का नेतृत्व करेगा, जबकि भारत इसे पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार मानता है। यह जानकारी किर्गिजिस्तान में एससीओ के रिजनल एंटी-टेररिस्ट स्ट्रक्चर (रैट्स) की बैठक में सामने आई। इस बैठक में भारतीय प्रतिनिधि ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का मुद्दा उठाते हुए इसके प्रायोजकों को बेनकाब करने की मांग की। रैट्स ने एससीओ के तियानजिन शिखर सम्मेलन में जारी साझा घोषणापत्र की भाषा को दोहराते हुए पहलगाम हमले की निंदा की।


अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों का बढ़ता दायरा

यह विडंबना है कि पाकिस्तान, जिसे भारत पहलगाम हमले का दोषी मानता है, अब इस एजेंसी का अध्यक्ष बन गया है। इससे पहले, पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष और आतंकवाद विरोधी समिति का उपाध्यक्ष चुना गया था। यह सब तब हुआ जब भारत ने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की कोशिशें की थीं।


भारत की कूटनीतिक चुनौतियाँ

पाकिस्तान को ये जिम्मेदारियां उस समय मिलीं जब पहलगाम हमले का जख्म अभी ताजा था। सुरक्षा परिषद में चीन स्थायी सदस्य है, लेकिन अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। इन देशों की सहमति के बिना कोई निर्णय नहीं हो सकता। एससीओ में भी रूस की उपस्थिति है, जिससे भारत के पारंपरिक संबंधों का अक्सर उल्लेख होता है। इसके बावजूद, पाकिस्तान को आतंकवाद विरोधी जिम्मेदारी मिल गई है।


क्या संकेत देता है यह बदलाव?

यह स्थिति संकेत देती है कि भारत वैश्विक मंचों पर अपनी राय प्रभावी ढंग से रखने में असफल हो रहा है। या फिर, अंतरराष्ट्रीय समीकरण इतने बदल गए हैं कि पाकिस्तान की स्थिति अचानक मजबूत हो गई है। हाल ही में, अमेरिकी कंपनी यूएस स्ट्रेटेजिक मेटल्स ने पाकिस्तान में महत्वपूर्ण खनिजों के खनन और रिफाइनरी प्लांट लगाने के लिए 50 करोड़ डॉलर का करार किया है। ये घटनाएँ भारत के लिए बढ़ती कूटनीतिक चुनौतियों का संकेत हैं। दशकों से भारत का लक्ष्य पाकिस्तान के भारत विरोधी मंसूबों को बेनकाब करना और आतंकवाद के मुद्दे पर उसे अलग-थलग करना रहा है, लेकिन अब इसमें लगातार बाधाएँ आ रही हैं।