पाकिस्तान ने 'ऑपरेशन सिंदूर' की सच्चाई स्वीकार की
पाकिस्तान का आधिकारिक कबूलनामा
नई दिल्ली: भारत के द्वारा किए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' के प्रभाव को लेकर पाकिस्तान ने अंततः अपनी स्थिति स्पष्ट की है। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और विदेश मंत्री इशाक डार ने पहली बार यह स्वीकार किया है कि भारतीय कार्रवाई ने उन्हें गंभीर नुकसान पहुँचाया। जरदारी ने एक कार्यक्रम में बताया कि उस समय स्थिति इतनी गंभीर थी कि पाकिस्तानी सेना ने उन्हें बंकर में छिपने की सलाह दी थी। जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी शेष पाल वैद्य ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत को पहले से ही पता था कि उन्होंने पाकिस्तान को कमजोर कर दिया है, और अब यह अच्छा है कि पाकिस्तान खुद इस सच्चाई को मान रहा है।
खौफनाक रात का जिक्र
पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने उस रात के डर का उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय कार्रवाई के दौरान उनके शीर्ष नेतृत्व में भय का माहौल था। उन्होंने कहा, “मेरे मिलिट्री सेक्रेटरी घबराते हुए मेरे पास आए और बोले कि सर, युद्ध शुरू हो गया है। हमें तुरंत बंकर में जाना चाहिए।” हालांकि, जरदारी ने बंकर में जाने से इनकार कर दिया। उनका यह बयान इस बात का प्रमाण है कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारतीय वायुसेना और मिसाइल हमलों ने पाकिस्तानी नेताओं की नींद उड़ा दी थी।
इशाक डार का बयान
पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने एक प्रेस ब्रीफिंग में इस तबाही की पुष्टि की। डार ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने रावलपिंडी के चकला स्थित उनके महत्वपूर्ण 'नूर खान एयर बेस' को निशाना बनाया। उन्होंने कहा कि भारत ने 36 घंटों में लगभग 80 ड्रोन और मिसाइलें दागी थीं। डार ने दावा किया कि वे 79 को रोकने में सफल रहे, लेकिन एक ड्रोन ने उनके मिलिट्री इंस्टॉलेशन को नुकसान पहुँचाया। हालांकि, रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि वास्तविक नुकसान इससे कहीं अधिक था।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की जानकारी
पूर्व डीजीपी शेष पाल वैद्य के अनुसार, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के पास पुख्ता जानकारी थी कि भारत ने 7 मई को शुरू किए गए इस ऑपरेशन में पाकिस्तान के 9 आतंकी कैंपों और 11 एयर बेस को पूरी तरह नष्ट कर दिया था। इसके अलावा, पाकिस्तान के 19 लड़ाकू विमानों को भी भारी नुकसान हुआ था। यह कार्रवाई पहलगाम में हुई आतंकी घटना के जवाब में की गई थी। 7 मई की सुबह भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान के भीतर सटीक हमले किए, जिसके बाद सीमा पर तनाव बढ़ गया और अंततः पाकिस्तान को पीछे हटना पड़ा। अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने भी इसे पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका माना।