पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर में अमेरिका की मदद के दावों को किया खारिज
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान समर्थन
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान समर्थन: पाकिस्तान ने भारत के साथ ऑपरेशन सिंदूर के समय अमेरिका से किसी भी प्रकार की सहायता मांगने के आरोपों को पूरी तरह से नकार दिया है। पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने स्पष्ट किया कि इस संघर्षविराम के लिए अमेरिका या किसी अन्य देश से मध्यस्थता नहीं करवाई गई थी। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पाकिस्तान ने खुद भारत से युद्धविराम की मांग की थी, क्योंकि भारतीय हमलों के कारण उसे भारी नुकसान हुआ था।
युद्धविराम का प्रस्ताव
डार ने पाकिस्तानी मीडिया से बातचीत में कहा कि हमने अमेरिका या किसी अन्य देश से मध्यस्थता का अनुरोध नहीं किया। युद्धविराम का प्रस्ताव पाकिस्तान की ओर से ही रखा गया था। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से संपर्क किया था, लेकिन केवल यह बताने के लिए कि वह खुद युद्धविराम चाहता है, न कि मध्यस्थता के लिए।
तीसरे पक्ष की भूमिका
भारत ने भी बार-बार यह स्पष्ट किया है कि ऑपरेशन सिंदूर में किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं थी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्रंप के दावों को अजीब और अनुचित बताया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में कहा था कि संघर्षविराम भारत की शर्तों पर हुआ और इसमें किसी बाहरी ताकत की दखल नहीं थी।
भारत के साथ व्यापक वार्ता
इस बीच, पाकिस्तान ने संकेत दिए हैं कि वह भारत के साथ व्यापक वार्ता के लिए तैयार है। डार ने कहा कि इस वार्ता में कश्मीर समेत सभी मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। हालांकि, भारत का रुख पहले की तरह सख्त बना हुआ है। भारत का कहना है कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते। जब तक पाकिस्तान आतंकवादी ढांचे को समाप्त नहीं करता और सीमा पार हमलों को नहीं रोकता, तब तक संवाद संभव नहीं है।
युद्धविराम की अपील
ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद हुई थी, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। इसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पीओके में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों पर हमले किए। इस दौरान पाकिस्तान ने ड्रोन हमलों और भारी गोलाबारी की कोशिश की, लेकिन भारत ने कड़ा जवाब दिया। इसी बीच पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ा और उसने युद्धविराम की अपील की।