पाकिस्तान ने सऊदी अरब के साथ रक्षा सौदे पर स्पष्ट किया परमाणु हथियारों का मुद्दा
पाकिस्तान का स्पष्ट बयान
इस्लामाबाद: सऊदी अरब के साथ एक महत्वपूर्ण रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करने के एक दिन बाद, पाकिस्तान ने उन अटकलों को खारिज कर दिया है, जिनमें कहा गया था कि उसने सऊदी अरब को 'परमाणु कवच' किराए पर दिया है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने आज इस्लामाबाद में स्पष्ट रूप से कहा कि यह समझौता केवल रक्षा सहयोग के लिए है और पाकिस्तान के परमाणु हथियार किसी अन्य देश के लिए नहीं हैं।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए ख्वाजा आसिफ ने कहा, 'सऊदी अरब को इस समझौते के तहत कोई परमाणु कवच नहीं मिलेगा। यह (परमाणु कार्यक्रम) केवल पाकिस्तान के लिए है। हम किसी अन्य देश को परमाणु हथियार नहीं दे सकते।' उन्होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान ने अपने परमाणु हथियार अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए बनाए हैं और इस पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
गुरुवार (18 सितंबर) को, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने रियाद में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ एक रक्षा सौदे पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते का एक महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि यदि किसी एक देश पर हमला होता है, तो इसे दोनों देशों पर हमला माना जाएगा। इस समझौते के बाद, अंतरराष्ट्रीय मीडिया में यह चर्चा तेज हो गई थी कि पाकिस्तान ने सऊदी अरब को किराए पर परमाणु बम दिया है, ताकि मध्य-पूर्व में इजराइल के परमाणु एकाधिकार को समाप्त किया जा सके।
पाकिस्तान के सूचना प्रसारण मंत्री अताउल्लाह तरार के अनुसार, यह समझौता दो पवित्र मस्जिदों (मक्का और मदीना) की सुरक्षा के लिए किया गया है। उन्होंने कहा, 'इजराइल लगातार खाड़ी देशों को निशाना बना रहा है। ऐसे में हमने यह समझौता करके किसी भी बुरी संभावना को समाप्त कर दिया है।' इस सौदे ने सऊदी अरब के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी और पाकिस्तान के पड़ोसी देश ईरान के लिए स्थिति को और जटिल बना दिया है। हालांकि, ईरान ने इस मामले पर अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है।