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पाकिस्तान में तालिबान के हमले में 11 सैनिकों की मौत

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में एक सैन्य काफिले पर तालिबान के हमले में 11 सैनिकों की जान गई है, जिसमें दो उच्च रैंक के अधिकारी भी शामिल हैं। इस हमले की जिम्मेदारी तहरीक-ए-तालिबान-पाकिस्तान ने ली है। पिछले कुछ महीनों में सुरक्षा बलों पर हमलों की संख्या में वृद्धि हुई है। जानें इस घटना के पीछे की कहानी और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया।
 

पाकिस्तानी सैन्य काफिले पर हमला

नई दिल्ली - बुधवार को अफगानिस्तान की सीमा के निकट एक पाकिस्तानी सैन्य काफिले पर घात लगाकर किए गए हमले में नौ जवान और दो अधिकारी मारे गए हैं। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी तालिबान ने ली है।


स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान सशस्त्र बल के प्रवक्ता ने पुष्टि की है कि खैबर पख्तूनख्वा के ओरकजई जिले में हुए इस हमले में लेफ्टिनेंट कर्नल और मेजर रैंक के दो अधिकारियों सहित कुल 11 सैनिक शहीद हो गए। इस हमले में कई आतंकवादियों के मारे जाने की भी सूचना है। लेफ्टिनेंट कर्नल जुनैद आरिफ (39) और मेजर तय्यब रहत (33) अपने नौ साथियों के साथ इस हमले में जान गंवा बैठे।


उत्तर-पश्चिमी कुर्रम जिले में पहले सड़क किनारे बम धमाके हुए, जिसके बाद गोलीबारी शुरू हुई। पाकिस्तानी सेना ने एक बयान में कहा कि इस अभियान के दौरान आतंकियों को भी मार गिराया गया, जो पास के ओरकजाई जिले में छिपे हुए थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, तहरीक-ए-तालिबान-पाकिस्तान (टीटीपी) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। संगठन का दावा है कि उनके लड़ाकों ने काफिले पर हमला किया। पिछले कुछ महीनों में टीटीपी ने पाकिस्तान में सुरक्षा बलों पर हमलों की संख्या बढ़ा दी है। यह संगठन पाकिस्तान सरकार को गिराकर अपने सख्त इस्लामी शासन की स्थापना करना चाहता है।


पाकिस्तान का कहना है कि ये आतंकवादी अफगानिस्तान में प्रशिक्षण लेकर पाकिस्तान पर हमले करते हैं, जबकि काबुल इस बात से बार-बार इनकार करता है।


इसके अलावा, पाकिस्तानी वायुसेना ने 21 सितंबर की रात खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की तिराह घाटी में एक गांव पर 8 लेजर-गाइडेड बम गिराए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हवाई हमले में महिलाओं और बच्चों समेत कुल 30 लोग मारे गए थे, हालांकि आधिकारिक आंकड़ा 24 बताया गया। पाकिस्तानी सेना ने दावा किया था कि उनके हमले का लक्ष्य तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का बम बनाने वाला अड्डा था।