पाकिस्तान में राजनीतिक संकट: तख्तापलट की संभावनाएं और इतिहास
पाकिस्तान में सत्ता संघर्ष की नई लहर
पाकिस्तान में चल रहे सत्ता संघर्ष ने एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय राजनीति का ध्यान खींचा है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद, देश में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ती जा रही है। हालिया मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तानी सेना के प्रमुख आसिम मुनीर और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के बीच छिपी हुई प्रतिस्पर्धा अब खुलकर सामने आ रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि स्थिति तब और गंभीर हो गई जब बिलावल भुट्टो ने भारत से जुड़े आतंकवादियों, जैसे हाफिज सईद और मसूद अजहर, को पाकिस्तान से बाहर करने की बात की।विशेषज्ञों का अनुमान है कि आसिम मुनीर को अमेरिका का समर्थन प्राप्त हो चुका है और वह पूर्व सेना प्रमुखों की तरह तख्तापलट की योजना बना सकते हैं। यदि ऐसा होता है, तो वे न केवल आसिफ अली जरदारी को सत्ता से हटाएंगे, बल्कि खुद पाकिस्तान के राष्ट्रपति बन सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, अगर हालात और बिगड़ते हैं, तो मुनीर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को भी सत्ता से बेदखल कर सकते हैं और देश की पूरी सत्ता पर नियंत्रण स्थापित कर सकते हैं।
इस संदर्भ में, आइए पाकिस्तान के इतिहास पर एक नजर डालते हैं, जहां तख्तापलट की घटनाएं पहले भी घटित हो चुकी हैं।
तख्तापलट की परिभाषा
तख्तापलट का अर्थ है सत्ता परिवर्तन का वह तरीका, जिसमें सत्ता का हस्तांतरण हिंसा या राजनीतिक साजिशों के माध्यम से होता है। इसे दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है: सैन्य तख्तापलट और राजनीतिक तख्तापलट। सैन्य तख्तापलट में सेना सरकार के खिलाफ बगावत कर सत्ता अपने हाथ में ले लेती है, जबकि राजनीतिक तख्तापलट में किसी सरकार को गिराने के लिए अंदरूनी साजिशों और राजनीतिक चालबाजियों का सहारा लिया जाता है।
पाकिस्तान में तख्तापलट का इतिहास
पाकिस्तान में तख्तापलट की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। इस देश ने कई बार लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को ध्वस्त होते देखा है। पाकिस्तान के गठन के बाद, जब भी राजनीतिक अस्थिरता आई, सेना ने अपनी शक्ति का उपयोग करते हुए चुनी हुई सरकारों को गिरा दिया।
पाकिस्तान में तख्तापलट की शुरुआत 1953-54 में हुई, जब गवर्नर जनरल गुलाम मोहम्मद ने प्रधानमंत्री ख्वाजा नजीमुद्दीन की सरकार को बर्खास्त किया। इसके बाद 1958 में फिर से तख्तापलट हुआ, जब राष्ट्रपति इस्कंदर अली मिर्जा ने संविधान सभा और प्रधानमंत्री फिरोज खान नून की सरकार को अपदस्थ किया। इसके बाद 1977 में जनरल जियाउल हक ने प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार को गिराया। 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ की सरकार को तख्तापलट करके सत्ता पर कब्जा किया।