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पाकिस्तान में संवैधानिक संशोधन: जनरल आसिम मुनीर बने कमांडर ऑफ डिफेंस फोर्सेज

पाकिस्तान की संसद ने एक महत्वपूर्ण संवैधानिक संशोधन को मंजूरी दी है, जिसके तहत जनरल आसिम मुनीर को 'कमांडर ऑफ डिफेंस फोर्सेज' घोषित किया गया है। इस बदलाव से सेना प्रमुख को थल, जल और वायु सेनाओं से संबंधित निर्णयों पर अंतिम अधिकार प्राप्त होगा। यह कदम सेना की शक्ति को और मजबूत करने के साथ-साथ राजनीतिक संतुलन पर भी सवाल उठाता है। जानें इस संशोधन के पीछे की वजहें और इसके संभावित प्रभाव।
 

संविधान में महत्वपूर्ण संशोधन

इस्लामाबाद में पाकिस्तान की संसद ने एक महत्वपूर्ण संवैधानिक संशोधन को स्वीकृति दी है, जिसके तहत जनरल आसिम मुनीर को 'कमांडर ऑफ डिफेंस फोर्सेज' के रूप में नियुक्त किया गया है। यह बदलाव देश की सुरक्षा संरचना और सेना की भूमिका में महत्वपूर्ण परिवर्तन का संकेत देता है।


सेना प्रमुख के अधिकारों में वृद्धि

नए संशोधन के अनुसार, सेना प्रमुख को थल, जल और वायु सेनाओं से संबंधित सामरिक निर्णयों पर अंतिम अधिकार प्राप्त होगा। पहले यह अधिकार प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्रालय के अधीन था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम सेना की शक्ति को और अधिक मजबूत करेगा।


जनरल आसिम मुनीर की नई जिम्मेदारियाँ

जनरल आसिम मुनीर, जो वर्तमान में पाकिस्तान के आर्मी चीफ हैं, ने 2022 में जनरल कमर जावेद बाजवा के बाद यह पद ग्रहण किया था। इस संशोधन के बाद, उनकी भूमिका केवल सैन्य मामलों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि वह रक्षा नीतियों, रणनीतिक साझेदारियों और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के निर्णयों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।


राजनीतिक प्रतिक्रिया

इस संशोधन पर विपक्षी दलों और कानूनी विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि यह कदम 'लोकतांत्रिक संतुलन' को कमजोर कर सकता है, क्योंकि पाकिस्तान में सेना का राजनीतिक प्रभाव पहले से ही काफी अधिक है। दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि यह संशोधन 'राष्ट्रीय सुरक्षा को एकीकृत और सशक्त' बनाने के लिए किया गया है।


अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण

अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि यह संशोधन पाकिस्तान में 'सिविल-मिलिट्री संबंधों' के नए युग की शुरुआत कर सकता है। उनका कहना है कि इससे प्रधानमंत्री की रक्षा मामलों में निर्णय लेने की शक्ति सीमित हो जाएगी।