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पालघर में छात्रा की मौत: स्कूल की सजा पर उठे सवाल

पालघर जिले में एक निजी स्कूल की 11 वर्षीय छात्रा की मौत ने गंभीर चिंता पैदा कर दी है। बच्ची को स्कूल में देर से आने पर सजा दी गई थी, जिसके बाद उसकी तबियत बिगड़ गई। इस मामले में स्थानीय राजनीतिक दल ने आरोप लगाए हैं कि सजा के कारण बच्ची की मृत्यु हुई। अधिकारियों ने मामले की जांच शुरू कर दी है। जानें इस घटना के पीछे की पूरी कहानी और क्या कहा है परिवार ने।
 

छात्रा की मौत से मचा हड़कंप


मुंबई: महाराष्ट्र के पालघर जिले में एक निजी स्कूल की छठी कक्षा की छात्रा की आकस्मिक मृत्यु ने क्षेत्र में चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। यह बच्ची एक सप्ताह पहले स्कूल में देर से पहुंचने पर कथित तौर पर सजा के बाद गंभीर रूप से बीमार हो गई थी। अधिकारियों ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि सजा और छात्रा की मृत्यु के बीच कोई संबंध है या नहीं।


घटना का विवरण

सूत्रों के अनुसार, वसई के सातीवली क्षेत्र में स्थित एक निजी स्कूल की 11 वर्षीय छात्रा ने शुक्रवार रात मुंबई के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के स्थानीय सदस्यों का आरोप है कि 8 नवंबर को लड़की और चार अन्य छात्राओं को स्कूल में देर से आने पर 100-100 उठक-बैठक करने के लिए कहा गया था। यह भी कहा गया है कि छात्राओं को यह सजा स्कूल बैग पीठ पर बांधकर करनी पड़ी।


मां के आरोप

क्या है पूरा मामला?


मृतक छात्रा की मां ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी बेटी स्वस्थ थी और उसे भारी बैग के साथ उठक-बैठक करने के लिए मजबूर करना अमानवीय था। उन्होंने बताया कि सजा के तुरंत बाद बच्ची को गर्दन और पीठ में तेज दर्द महसूस हुआ और वह ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। उसकी हालत बिगड़ने पर उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे बचाने की कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए।


मनसे नेता की प्रतिक्रिया

मनसे नेता सचिन मोरे ने भी उठाए सवाल


मनसे नेता सचिन मोरे का कहना है कि बच्ची पहले से कुछ स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थी, फिर भी शिक्षक ने इतनी कठोर सजा दी। दूसरी ओर, स्कूल की एक शिक्षिका का कहना है कि यह स्पष्ट नहीं है कि लड़की ने वास्तव में कितने उठक-बैठक किए और क्या यह सजा सीधे उसकी मृत्यु का कारण बनी।


शिक्षा अधिकारी की टिप्पणी

क्या कहा खंड शिक्षा अधिकारी ने?


खंड शिक्षा अधिकारी पांडुरंग गलांगे ने बताया कि पूरा मामला जांच के दायरे में है और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर ही अंतिम निष्कर्ष निकाला जाएगा। फिलहाल, पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है, लेकिन अधिकारी परिवार से बातचीत कर रहे हैं।


मां का बयान

छात्रा की मां ने लगाए अमानवीय व्यवहार के आरोप


छात्रा की मां का कहना है कि जब उन्होंने शिक्षिका से इस अमानवीय व्यवहार का कारण पूछा, तो शिक्षिका ने कथित तौर पर जवाब दिया कि माता-पिता अक्सर उन पर पढ़ाने से मना करने का आरोप लगाते हैं, इसलिए बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए सजा दी जाती है। मां का कहना है कि उनकी बेटी की मौत इसी कठोर और असंवेदनशील सजा का नतीजा है।