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पितृ पक्ष 2025: श्राद्ध और चंद्र ग्रहण का महत्व

पितृ पक्ष 2025 का आरंभ 7 सितंबर से हो रहा है, जिसमें पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण का महत्व है। इस दौरान 7 सितंबर को पूर्ण चंद्र ग्रहण भी होगा, जो भारत में दिखाई देगा। जानें श्राद्ध की तिथियां और तर्पण का सही समय।
 

पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध

पितर, देवी-देवताओं के साथ-साथ हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। ये हमारे पूर्वज पितृ लोक में निवास करते हैं और श्राद्ध पक्ष के 15 दिनों के लिए धरती पर आते हैं। इस दौरान उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण, अर्पण और दान की परंपरा निभाई जाती है। ऐसा करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान, जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार, इस वर्ष पितृ पक्ष का आरंभ 7 सितंबर से होगा और यह 21 सितंबर तक चलेगा। पूर्णिमा का श्राद्ध भी 7 सितंबर को होगा, जब साल का अंतिम चंद्र ग्रहण भी लगेगा। यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा, जिससे सूतक काल लागू होगा। यह ग्रहण यूरोप, एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक, हिंद महासागर, आर्कटिक और अंटार्कटिका में भी देखा जाएगा। पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण का आयोजन किया जाता है।


पितृ पक्ष का महत्व

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि पितृ पक्ष का उद्देश्य पितरों की आत्मा की शांति है। यह भाद्रपद माह की पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन माह की अमावस्या तक चलता है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है, जहां पूर्वजों को श्रद्धा के साथ याद किया जाता है। इस दौरान तर्पण और श्राद्ध कर्म करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पितृ पक्ष में श्रद्धा पूर्वक जल अर्पित करने का विधान है। यदि पितरों की कृपा नहीं होती, तो जातक की कुंडली में पितृ दोष उत्पन्न होता है, जिससे जीवन में दुख और परेशानियाँ आती हैं। इसलिए, पितरों की शांति के लिए ये 15 दिन अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं।


7 सितंबर को पूर्ण चंद्र ग्रहण

भविष्यवक्ता और कुंडली विश्लेषक डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025 को भाद्रपद मास की शुक्ल पूर्णिमा के दिन होगा। यह रात्रि 21:57 बजे शुरू होकर 1:26 बजे तक प्रभावी रहेगा। यह ग्रहण भारत समेत एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, न्यूजीलैंड, उत्तरी अमेरिका, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा। चूंकि यह चंद्र ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य होगा। सूतक काल 7 सितंबर को दोपहर 12:57 बजे से आरंभ होगा।


भारत में चंद्र ग्रहण का दृश्य

डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि यह चंद्र ग्रहण भारत के सभी हिस्सों से देखा जा सकेगा। ग्रहण की शुरुआत से लेकर अंत तक उपच्छाया सहित सभी चरण दिखाई देंगे।


तर्पण का सही समय

कुंडली विश्लेषक डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि देवी-देवताओं की पूजा सुबह और शाम को की जाती है, जबकि पितरों के लिए दोपहर का समय निर्धारित है। दोपहर में लगभग 12:00 बजे श्राद्ध कर्म किया जा सकता है। सुबह नित्यकर्म और स्नान के बाद पितरों का तर्पण करना चाहिए।


श्राद्ध की तिथियां

डॉ. अनीष व्यास ने श्राद्ध की तिथियों की जानकारी दी है:


7 सितंबर- पूर्णिमा श्राद्ध


8 सितंबर- प्रतिपदा श्राद्ध


9 सितंबर- द्वितीया श्राद्ध


10 सितंबर- तृतीया श्राद्ध, चतुर्थी श्राद्ध


11 सितंबर- पंचमी श्राद्ध


12 सितंबर- षष्ठी श्राद्ध


13 सितंबर- सप्तमी श्राद्ध


14 सितंबर- अष्टमी श्राद्ध


15 सितंबर- नवमी श्राद्ध


16 सितंबर- दशमी श्राद्ध


17 सितंबर- एकादशी श्राद्ध


18 सितंबर- द्वादशी श्राद्ध


19 सितंबर- त्रयोदशी श्राद्ध


20 सितंबर- चतुर्दशी श्राद्ध


21 सितंबर- सर्व पितृ अमावस्या


22 सितंबर- मातामह नान श्राद्ध