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पीएम मोदी की स्वदेशी पहल: भारतीय उत्पादों को प्राथमिकता देने का समय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से स्वदेशी उत्पादों को अपनाने की अपील की है, खासकर त्योहारों के मौसम में। यह पहल 'मेक इन इंडिया' और 'वोकल फॉर लोकल' अभियानों का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। जानें कि कैसे यह स्वदेशी कार्ड भारत को वैश्विक बाजार में मजबूती प्रदान कर सकता है और स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा दे सकता है।
 

स्वदेशी अपनाने की अपील

पीएम मोदी की स्वदेशी पहल: भारत वर्तमान में एक नए आर्थिक विमर्श के दौर से गुजर रहा है। ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है, और इस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से स्वदेशी उत्पादों को अपनाने की अपील की है। उन्होंने दुकानदारों से अनुरोध किया कि वे अपने स्टोर पर 'यहां स्वदेशी बिकता है' का बोर्ड लगाएं और ग्राहकों से भारतीय उत्पादों को प्राथमिकता देने का आग्रह किया। यह कदम त्योहारों के मौसम से पहले उठाया गया है, जिससे स्थानीय उत्पादों की मांग को बढ़ावा मिले।


वोकल फॉर लोकल और मेक इन इंडिया का महत्व

यह अपील 'वोकल फॉर लोकल' और 'मेक इन इंडिया' जैसे अभियानों का हिस्सा है। 2014 में शुरू किया गया 'मेक इन इंडिया' अभियान भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में था, जिसके परिणामस्वरूप मोबाइल और फार्मा सेक्टर में महत्वपूर्ण प्रगति हुई। वहीं, 2020 में कोविड के दौरान 'वोकल फॉर लोकल' ने भारतीय उपभोक्ताओं को स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित किया। अब 'स्वदेशी कार्ड' उसी दिशा में एक और कदम है।


आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम

'यहां स्वदेशी बिकता है' - पीएम मोदी का संदेश

प्रधानमंत्री मोदी का मानना है कि वैश्विक राजनीति अब आर्थिक हितों के चारों ओर घूम रही है और भारत को इस चुनौतीपूर्ण स्थिति में आत्मनिर्भरता के मार्ग पर आगे बढ़ना होगा। उनका संदेश है कि व्यापारी और ग्राहक मिलकर स्थानीय उद्योगों, किसानों और लघु उद्यमों को बढ़ावा दें। इससे न केवल रोजगार सृजन होगा, बल्कि भारत की वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिति भी मजबूत होगी।


स्वदेशी कार्ड की प्रभावशीलता

क्या अलग साबित होगा 'स्वदेशी कार्ड'?

विशेषज्ञों का मानना है कि 'मेक इन इंडिया' और 'वोकल फॉर लोकल' ने निश्चित रूप से भारत की उत्पादन क्षमता और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया है, लेकिन नौकरियों और बड़े निवेश के मामले में चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। ऐसे में 'स्वदेशी कार्ड' तभी प्रभावी होगा जब सरकार उत्पादन लागत को कम करने, गुणवत्ता में सुधार करने और छोटे उद्योगों को आसान पूंजी उपलब्ध कराने जैसे ठोस कदम उठाए। यदि यह रणनीति सही तरीके से लागू होती है, तो भारत न केवल विदेशी टैरिफ के दबाव को सहन कर सकेगा, बल्कि घरेलू उत्पादों के माध्यम से वैश्विक बाजार में अपनी हिस्सेदारी भी मजबूत करेगा।