पीयूष गोयल ने घरेलू उद्योगों की आत्मनिर्भरता पर जताई चिंता
इस्पात उद्योग में आत्मनिर्भरता की आवश्यकता
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को चिंता व्यक्त की कि घरेलू उद्योग कीमतों में थोड़े से अंतर पर आयातित सामान की ओर मुड़ जाते हैं, जिससे भारतीय उत्पादकों को नुकसान होता है।
गोयल ने इस्पात उद्योग पर आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि यदि भारतीय कंपनियां चाहती हैं कि अन्य क्षेत्र भी उनका अनुसरण करें, तो उन्हें सबसे पहले इस्पात क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और सहयोग की भावना को प्रदर्शित करना होगा।
उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का आह्वान किया है, लेकिन दुर्भाग्यवश, भारतीय उद्योग थोड़े सस्ते विकल्प मिलने पर आयात करने के लिए तत्पर हो जाते हैं।'
उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियां उच्च गुणवत्ता वाले इस्पात उत्पाद बनाती हैं, लेकिन जापान और दक्षिण कोरिया की कंपनियां अपने घरेलू उद्योगों से ही खरीदारी करना पसंद करती हैं।
भारत का इन दोनों देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता है, और भारतीय उद्योग लगातार बढ़ते इस्पात आयात को लेकर चिंतित रहा है। गोयल ने बताया कि सरकार ने उद्योग की मांग पर इस्पात पर 12 प्रतिशत रक्षोपाय शुल्क लगाया था, लेकिन उसी उद्योग ने घरेलू मेट कोक उत्पादकों का समर्थन नहीं किया।
उन्होंने कहा, 'आपने कुछ डॉलर बचाने के लिए आयात का सहारा लिया और घरेलू मेट कोक उद्योग को लगभग समाप्त कर दिया। नतीजा यह हुआ कि आप विदेशी कंपनियों की दया पर निर्भर हो गए।'
मेट कोक का उपयोग मुख्य रूप से लौह और इस्पात उद्योगों में ईंधन के रूप में किया जाता है, खासकर ब्लास्ट फर्नेस में लौह अयस्क को पिघले हुए लोहे में बदलने के लिए इसकी आवश्यकता होती है।