पुणे में 1,800 करोड़ की ज़मीन का विवाद: पार्थ पवार की कंपनी पर लगे गंभीर आरोप
महाराष्ट्र में ज़मीन सौदे का विवाद
पुणे में 1,800 करोड़ रुपये की प्राइम ज़मीन को केवल 300 करोड़ में बेचने के आरोपों ने राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। यह सौदा उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार की कंपनी से संबंधित बताया जा रहा है।
इस ज़मीन की कीमत 1,800 करोड़ रुपये आंकी गई है, लेकिन इसे बेहद कम कीमत पर बेचा गया है। आरोप है कि इस सौदे पर केवल 500 रुपये की स्टांप ड्यूटी चुकाई गई। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
पार्थ पवार पर उठे सवाल
जैसे ही यह सौदा सामने आया, विपक्ष ने सरकार पर हमला बोल दिया। रिपोर्टों के अनुसार, पार्थ पवार की कंपनी को यह ज़मीन बहुत कम कीमत पर दी गई है। विपक्ष ने इसे "स्पष्ट भ्रष्टाचार" करार दिया है और पार्थ पवार से स्पष्टीकरण मांगा है। फिलहाल, पार्थ पवार की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
मुख्यमंत्री की कार्रवाई
मामला बढ़ने पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए पुणे के तहसीलदार सूर्यकांत येवले को निलंबित कर दिया। इसके साथ ही, उन्होंने वरिष्ठ अधिकारी विकास खर्गे की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन किया। फडणवीस ने कहा कि "यदि कोई गड़बड़ी हुई है, तो किसी को नहीं बख्शा जाएगा।"
विपक्ष का आरोप
विपक्षी दलों ने इस सौदे को सत्ता के दुरुपयोग का उदाहरण बताया है। कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव गुट) ने आरोप लगाया है कि पवार परिवार के प्रभाव के कारण सरकारी नियमों की अनदेखी की गई। उन्होंने पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की है।
राजनीतिक माहौल में गर्मी
यह मामला महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा विवाद बन गया है। महायुति सरकार पर पारदर्शिता बनाए रखने का दबाव बढ़ गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि जांच रिपोर्ट राज्य की राजनीतिक दिशा को प्रभावित कर सकती है, खासकर जब यह मामला एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से जुड़ा हो।
जांच समिति की कार्रवाई
जांच समिति ने अपनी कार्यवाही शुरू कर दी है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, समिति ज़मीन के मूल्यांकन, ट्रांसफर प्रक्रिया और टैक्स रिकॉर्ड की गहन जांच करेगी। सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि क्या जांच में कोई गड़बड़ी सामने आती है।