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पुणे में DJ-मुक्त दही हंडी का अनोखा उत्सव

पुणे में जन्माष्टमी के अवसर पर आयोजित DJ-मुक्त दही हंडी ने एक नया रंग दिखाया। लाल महाल चौक में हजारों लोगों ने ढोल-ताशों की धुन पर उत्सव मनाया। राधेकृष्ण ग्रुप ने सात थर की मानव पिरामिड बनाकर हांडी फोड़ी, जिससे पूरा माहौल जोश से भर गया। इस आयोजन का उद्देश्य ध्वनि प्रदूषण को कम करना और पारंपरिक कलाकारों को मंच प्रदान करना था। जानें इस अनोखे उत्सव के बारे में और कैसे यह परंपरा और उत्साह का संगम बना।
 

पुणे में अनोखी दही हंडी का आयोजन

DJ free dahi handi Pune: DJ के बिना भी मस्ती! पुणे के ऐतिहासिक लाल महाल चौक में हजारों लोगों ने अनोखी दही हंडी का आनंद लिया: इस बार जन्माष्टमी पर पुणे ने एक नया रंग देखा। शहर के केंद्र में स्थित लाल महाल चौक में हजारों की भीड़ जुटी, लेकिन इस बार बिना DJ के भी माहौल पूरी तरह से उत्साह से भरा रहा।


ढोल-ताशों की धुन, पारंपरिक बैंड की संगीत और गोविंदा आला रे के नारों के बीच राधेकृष्ण ग्रुप ने सात थर की मानव पिरामिड बनाकर हांडी फोड़ दी। यह आयोजन राज्य की पहली DJ-मुक्त दही हंडी के रूप में भी जाना गया।


ढोल-ताशों ने लिया नेतृत्व DJ free dahi handi Pune


पुनीत बालन ग्रुप के सहयोग से शहर के 26 सार्वजनिक मंडलों ने मिलकर इस विशेष दही हंडी का आयोजन किया। आयोजक पुनीत बालन ने बताया कि DJ-मुक्त दही हंडी का उद्देश्य ध्वनि प्रदूषण को कम करना और पारंपरिक कलाकारों को एक मंच प्रदान करना था।


प्रभात बैंड की मधुर धुन के बाद समर्थ पथक, रमणबाग, शिवमुद्रा, वरली बिट्स (मुंबई) और शिव महाकाल पथक (उज्जैन) की शानदार प्रस्तुतियों ने माहौल को पूरी तरह से जीवंत बना दिया।


सेलिब्रिटीज की उपस्थिति


इस विशेष अवसर पर अभिनेता-निर्देशक प्रविण तरडे, अभिनेता हार्दिक जोशी और मराठी बिग बॉस फेम ईरिना जैसे प्रसिद्ध चेहरे भी उपस्थित थे। इनके साथ वंदे मातरम संघ, नटराज संघ, म्हसोबा संघ, गणेश मित्र मंडल, गणेश महिला गोविंदा पथक, इंद्रेश्वर संघ (इंदापुर) और शिवकन्या गोविंदा पथक (चेंबुर-मुंबई) जैसे कई प्रमुख पथकों ने भी उत्साह से भाग लिया।


राधेकृष्ण ग्रुप ने जीती बाजी


सबकी नजरें उस क्षण पर थीं जब राधेकृष्ण ग्रुप ने सात थर की पिरामिड बनाकर हांडी फोड़ी। जैसे ही हांडी टूटी, पूरा लाल महाल चौक “गोविंदा आला रे” के नारों से गूंज उठा। DJ के बिना भी इस आयोजन ने साबित कर दिया कि परंपरा और उत्साह का संगम ही असली जश्न होता है।