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पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को श्रद्धांजलि सभा में दी गई श्रद्धांजलि

पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए खटकड़ टोल के पास एक सभा का आयोजन किया गया। इस सभा में उनके योगदान और ईमानदारी पर चर्चा की गई। वक्ताओं ने बताया कि मलिक ने हमेशा समाज सेवा को प्राथमिकता दी और राजनीति को पैसे कमाने का साधन नहीं माना। उनके निधन के बाद राजकीय सम्मान न मिलने पर जाट समाज में रोष है। जानें इस श्रद्धांजलि सभा में और क्या कहा गया।
 

श्रद्धांजलि सभा का आयोजन


जींद। पूर्व राज्यपाल स्व. सत्यपाल मलिक को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए खटकड़ टोल के निकट एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस सभा में क्षेत्र के अनेक लोग शामिल हुए, जिनमें किसान संगठनों के प्रतिनिधि और खापों के नेता भी शामिल थे। वक्ताओं ने कहा कि स्व. मलिक ने हमेशा आम जनता की आवाज उठाई। वे कई राज्यों के राज्यपाल रहे और आम लोगों के साथ उनका गहरा संबंध था। उनकी छवि एक ईमानदार और बेदाग व्यक्ति की रही।


सत्यपाल मलिक का योगदान

जब वे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे, तब उन्होंने धारा 370 को हटाने का साहसिक कदम उठाया। उन्होंने हमेशा मजदूरों, किसानों और कमजोर वर्गों की आवाज को बुलंद किया। उनके निधन के समय उनके पास केवल चार जोड़ी कपड़े और एक कमरे का मकान था। वक्ताओं ने कहा कि उन्होंने कभी भी पैसे कमाने को प्राथमिकता नहीं दी। सत्यपाल मलिक का मानना था कि राजनीति पैसे कमाने का साधन नहीं, बल्कि समाज सेवा का माध्यम है।


राजनीति में संदेश

उन्होंने राजनीति में एक महत्वपूर्ण संदेश छोड़ा कि यदि राजनीति करनी है, तो समाज सेवा के लिए करें, न कि धन कमाने के लिए। उनका कहना था कि मृत्यु के बाद कोई भी धन नहीं ले जा सकता, इसलिए धन के पीछे भागने का कोई अर्थ नहीं है। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का निर्णय उनके कार्यकाल में लिया गया, जिसे सदियों तक याद रखा जाएगा।


राजकीय सम्मान की कमी

पूर्व मंडी प्रधान वीरेंद्र प्रधान ने कहा कि सत्यपाल मलिक के निधन के बाद उन्हें राजकीय सम्मान नहीं दिया जाना सरकार की मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि किसी भी जाति या धर्म के राज्यपाल को उनके निधन पर राजकीय सम्मान मिलता रहा है। वीरेंद्र प्रधान ने यह भी कहा कि सत्यपाल मलिक ने किसान आंदोलन का समर्थन किया और हमेशा स्पष्टवादी रहे।


जाट समाज की एकता

उन्होंने यह भी कहा कि जाट समाज को एकजुट होना पड़ेगा, अन्यथा भविष्य में उन्हें कोई महत्व नहीं मिलेगा। सत्यपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को तोड़ने का साहस दिखाया और वे एक निडर नेता थे।