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पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का सरकारी बंगला खाली करने का मामला

भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के सरकारी आवास को खाली करने का मामला चर्चा में है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बंगला खाली करने का आदेश दिया है, जबकि चंद्रचूड़ का कहना है कि नए आवास की मरम्मत चल रही है। जानें इस मामले में क्या नियम हैं और आगे क्या होगा।
 

पूर्व सीजेआई का सरकारी आवास

क्या आपको पता है कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व प्रधान न्यायाधीश को रिटायरमेंट के बाद कितने समय तक सरकारी आवास में रहने की अनुमति होती है? हाल ही में यह मुद्दा तब चर्चा में आया जब सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ से उनके सरकारी बंगले को खाली करने का अनुरोध किया।
पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने नवंबर 2024 में सेवानिवृत्त होने के बाद भी दिल्ली के लुटियंस ज़ोन में स्थित बंगला नंबर 5 में रहना जारी रखा है। अब सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने उन्हें पत्र भेजकर इस बंगले को तुरंत खाली करने के लिए कहा है।


कानूनी प्रावधानों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट जज (संशोधन) नियम 2022 में यह स्पष्ट किया गया है कि सेवानिवृत्त सीजेआई को रिटायरमेंट के छह महीने बाद तक ही उसी स्तर के सरकारी आवास में रहने की अनुमति होती है। इसके बाद उन्हें टाइप VII श्रेणी का बंगला आवंटित किया जा सकता है, जबकि वर्तमान में जस्टिस चंद्रचूड़ टाइप VIII श्रेणी के बंगले में निवास कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने 1 जुलाई को हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स मंत्रालय को पत्र भेजकर स्पष्ट किया कि नियमों के अनुसार यह बंगला अब कोर्ट प्रशासन के लिए आवश्यक है और इसे तुरंत खाली किया जाना चाहिए।


सूत्रों के अनुसार, सेवानिवृत्ति के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने कुछ अतिरिक्त समय की मांग की थी, जिसे तत्कालीन सीजेआई ने स्वीकार कर लिया था। हालांकि, यह भी स्पष्ट किया गया था कि इसके बाद कोई और छूट नहीं दी जाएगी।
अब सवाल यह उठता है कि पूर्व सीजेआई अब तक बंगला क्यों नहीं छोड़ पाए हैं? जस्टिस चंद्रचूड़ के अनुसार, सरकार ने उन्हें जो नया सरकारी आवास आवंटित किया है, उसमें मरम्मत का कार्य अभी भी चल रहा है। उनका कहना है कि अगले दो से तीन हफ्तों में मरम्मत पूरी होते ही वे नए आवास में शिफ्ट हो जाएंगे। मंत्रालय ने उन्हें लाइसेंस फीस के साथ 11 दिसंबर 2024 से 30 अप्रैल 2025 तक टाइप VIII श्रेणी का बंगला आवंटित किया था, लेकिन उसकी अवधि भी अब समाप्त हो चुकी है।


अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या मरम्मत का कार्य समय पर पूरा होता है और क्या पूर्व सीजेआई निर्धारित समय में नए बंगले में शिफ्ट हो पाएंगे। सुप्रीम कोर्ट के प्रशासनिक पत्र के बाद यह मामला एक उदाहरण बन सकता है कि सर्वोच्च पद से रिटायर होने के बाद भी नियमों का पालन कितना आवश्यक है।