पूर्व सैनिक के घर में घुसकर मांगे गए नागरिकता के दस्तावेज
पुणे में पूर्व सैनिक का अपमानजनक अनुभव
पुणे: कारगिल युद्ध में देश की सेवा करने वाले एक पूर्व सैनिक को अपने ही देश में नागरिकता साबित करने के लिए अपमानजनक स्थिति का सामना करना पड़ा। चंदननगर क्षेत्र में कारगिल योद्धा हकीमुद्दीन शेख के परिवार ने आरोप लगाया है कि शनिवार रात पुलिस के साथ आई 30 से 40 लोगों की भीड़ ने उनके घर में घुसकर उनसे भारतीय नागरिक होने के दस्तावेज मांगे और परिवार के पुरुष सदस्यों को थाने ले जाकर धमकी दी।
58 वर्षीय हकीमुद्दीन शेख, जो 1984 से 2000 तक भारतीय सेना की 269 इंजीनियर रेजिमेंट में सेवा दे चुके हैं, ने 1999 के कारगिल युद्ध में भी भाग लिया था। परिवार के अनुसार, यह भयावह घटना शनिवार रात करीब 11 बजे हुई, जब वे सो रहे थे। दर्जनों लोगों की भीड़ ने 'संदिग्ध अवैध प्रवासियों' का आरोप लगाते हुए उनके दरवाजे पीटने लगी।
हकीमुद्दीन के भाई इरशाद शेख ने बताया, 'वे चिल्ला रहे थे, दरवाजे पर लातें मार रहे थे और घर की महिलाओं से कागज दिखाने को कह रहे थे। माहौल बेहद डरावना था।' परिवार का आरोप है कि पुरुष सदस्यों को आधी रात के बाद पुलिस स्टेशन ले जाया गया और यह धमकी दी गई कि अगर वे अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाए तो उन्हें 'बांग्लादेशी' या 'रोहिंग्या' घोषित कर दिया जाएगा। भतीजे नौशाद ने कहा कि जब उन्होंने आधार कार्ड दिखाया तो भीड़ ने उसे 'फर्जी' कहकर मजाक उड़ाया।
पुणे पुलिस ने इस मामले पर अपनी स्थिति स्पष्ट की है। डीसीपी सोमैया मुंडे ने कहा कि यह कार्रवाई इलाके में कुछ अवैध प्रवासियों के रहने की सूचना के आधार पर की गई थी। उन्होंने कहा, 'हमारी टीम ने दस्तावेज मांगे और जब यह स्पष्ट हो गया कि वे भारतीय नागरिक हैं, तो उन्हें छोड़ दिया गया। हमारी टीम के साथ कोई बाहरी व्यक्ति नहीं था और हमारे पास पूरी घटना की वीडियो फुटेज है।'
पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने कहा है कि मामले की जांच की जा रही है और यदि पुलिस की ओर से कोई लापरवाही पाई गई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने प्रारंभिक जांच के आधार पर कहा कि पुलिस ने जबरन घर में प्रवेश नहीं किया था।
इस घटना से आहत पूर्व सैनिक हकीमुद्दीन शेख ने कहा, 'मैंने इस देश के लिए कारगिल में लड़ाई लड़ी है। मेरा पूरा परिवार यहीं का है। फिर हमसे बार-बार नागरिकता साबित करने को क्यों कहा जाता है?' उनके परिवार में दो और पूर्व सैनिक- शेख नईमुद्दीन और शेख मोहम्मद सलीम भी हैं, जिन्होंने क्रमशः 1965 और 1971 के युद्धों में देश के लिए सेवा दी थी। परिवार ने सवाल उठाया है, 'क्या देश के लिए खून बहाने वाले सैनिकों के परिवारों के साथ यही व्यवहार किया जाएगा?' परिवार का कहना है कि उनके दस्तावेज अभी भी पुलिस के पास हैं।