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पूर्वोत्तर भारत में 4.7 तीव्रता का भूकंप, जानमाल का नुकसान नहीं

आज सुबह पूर्वोत्तर भारत में 4.7 की तीव्रता का भूकंप आया, जिसका केंद्र मणिपुर में था। भूकंप के झटके नगालैंड और असम में भी महसूस किए गए। हालांकि, किसी भी प्रकार के जानमाल के नुकसान की सूचना नहीं है। यह भूकंप सितंबर में इस क्षेत्र में आया दूसरा मामला है। जानें भूकंप के कारण और इससे जुड़ी अन्य जानकारी।
 

भूकंप के झटके महसूस किए गए


किसी भी प्रकार के नुकसान की सूचना नहीं, मणिपुर में केंद्र


पूर्वोत्तर में भूकंप (नई दिल्ली): आज सुबह लगभग 6:10 बजे पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्यों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.7 मापी गई। यह झटके मणिपुर, नगालैंड और असम में प्रमुख रूप से अनुभव किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, भूकंप का केंद्र मणिपुर के उखरुल से 27 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में, 15 किलोमीटर की गहराई पर था।


यह स्थान नगालैंड के वोखा से 155 किमी दक्षिण-दक्षिणपूर्व और दीमापुर से 159 किमी दक्षिणपूर्व में स्थित है। उल्लेखनीय है कि मंगलवार रात महाराष्ट्र के सतारा में भी भूकंप आया था, जहां झटके रात 12:09 बजे महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र कोल्हापुर से 91 किमी उत्तर-पश्चिम में, 5 किमी की गहराई पर था। इसके बाद तिब्बत में सुबह 4:28 बजे 3.3 तीव्रता का भूकंप आया।


सितंबर में पूर्वोत्तर में भूकंप की दूसरी घटना

सितंबर में दूसरी बार पूर्वोत्तर में आया भूकंप


इससे पहले 15 सितंबर को भी पूर्वोत्तर क्षेत्र में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। उस समय भूकंप का केंद्र असम के उदलगुरी जिले में था और इसकी तीव्रता 5.8 मापी गई। यह भूकंप शाम लगभग 4:40 बजे आया और इसकी गहराई 5 किलोमीटर थी।


पश्चिम बंगाल से भूटान तक महसूस किए गए झटके

पश्चिम बंगाल से लेकर भूटान तक महसूस किए गए झटके


सूत्रों के अनुसार, पश्चिम बंगाल से भूटान तक भूकंप के झटके महसूस किए गए। जहां-जहां झटके आए, वहां लोग डर के मारे अपने घरों से बाहर निकल आए। हालांकि, अब तक किसी भी प्रकार के जानमाल के नुकसान की कोई सूचना नहीं है।


भूकंप के कारणों की जानकारी

जानिए किस वजह से आते हैं भूकंप


भूकंप का मुख्य कारण धरती के अंदर मौजूद प्लेटों का आपस में टकराना है। धरती में 7 प्लेटें हैं, जो हमेशा घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेटें अधिक टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेटों के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है, तो प्लेटें टूटने लगती हैं और नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं। ऐसी स्थिति में डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।