प्रतापगढ़ में श्रद्धालुओं पर लाठीचार्ज: विवादास्पद घटना ने बढ़ाई आक्रोश की लहर
प्रतापगढ़ में लाठीचार्ज की घटना
प्रतापगढ़ लाठी चार्ज: प्रतापगढ़ के घुइसरनाथ धाम में सावन के दूसरे सोमवार को एक विवादास्पद घटना ने सभी का ध्यान आकर्षित किया है। मंगल आरती के बाद, रात लगभग 3 बजे मंदिर के कपाट खुलने पर जलाभिषेक के दौरान पुलिस ने श्रद्धालुओं पर लाठीचार्ज किया। इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया है, जिसने भक्तों और स्थानीय निवासियों में आक्रोश पैदा कर दिया है।
सावन का पवित्र महीना भगवान शिव की भक्ति में समर्पित होता है, और बाबा घुइसरनाथ धाम में हजारों श्रद्धालु जलाभिषेक के लिए पहुंचे थे। मंदिर प्रशासन और पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए व्यापक इंतजाम किए थे, लेकिन रात के समय अचानक बढ़ी भीड़ के कारण स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। वायरल वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि पुलिसकर्मी लाठियां चलाते हुए श्रद्धालुओं को तितर-बितर करने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे मंदिर परिसर में भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई।
पुलिस का स्पष्टीकरण: सुरक्षा के लिए आवश्यक था
क्षेत्राधिकारी आशुतोष मिश्रा ने इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उनके अनुसार, "श्रद्धालुओं की अधिक संख्या के कारण बैरिकेडिंग टूट गई थी। सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने और संभावित दुर्घटनाओं से बचने के लिए बल प्रयोग करना आवश्यक हो गया था।" उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था, बल्कि मंदिर में व्यवस्था बनाए रखना था।
श्रद्धालुओं का आक्रोश: आस्था का अपमान?
श्रद्धालुओं ने पुलिस की इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की है। एक भक्त ने कहा, "यह व्यवहार शिव भक्तों की आस्था के खिलाफ है।" कई लोगों का मानना है कि पुलिस को अधिक संयम बरतना चाहिए था, ताकि भक्तों की धार्मिक भावनाएं आहत न हों। इस घटना ने न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि सोशल मीडिया पर भी व्यापक बहस छेड़ दी है।
सावन में बढ़ती भीड़ और चुनौतियां
सावन के महीने में बाबा घुइसरनाथ धाम जैसे प्रमुख शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इस दौरान मंदिर प्रशासन और पुलिस के सामने भीड़ नियंत्रण एक बड़ी चुनौती होती है। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन के लिए बेहतर रणनीति की आवश्यकता है।