प्रदूषण और कैंसर: जानें कैसे बचें और क्या करें
कैंसर की रोकथाम
कैंसर की रोकथाम: हर साल अक्टूबर से दिसंबर के बीच दिल्ली-NCR में प्रदूषण की समस्या बढ़ जाती है, जिसका मुख्य कारण पराली जलाना है। अब यह समस्या मुंबई और अन्य राज्यों में भी देखने को मिल रही है। प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए कैंसर का बढ़ता खतरा एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। हवा, पानी और भोजन में मिल रहे हानिकारक तत्व हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या हम खुद को कैंसर से बचा सकते हैं? आइए जानते हैं।
कौन सा कैंसर प्रदूषण से होता है?
लंग कैंसर: प्रदूषण के संपर्क में रहने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा सबसे अधिक होता है। धुएं के कारण फेफड़ों में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। हवा में मौजूद सूक्ष्म कण जैसे PM2.5, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, ये तत्व कार्सिनोजेनिक कैंसर का कारण बन सकते हैं, जिसमें शरीर के अंगों पर रासायनिक प्रभाव पड़ता है।
लंग कैंसर के लक्षण
- लगातार खांसी होना।
- सांस लेने में कठिनाई।
- छाती में दर्द।
- खांसी में खून आना।
- थकान और वजन में कमी।
- चेहरे और गर्दन में सूजन।
स्किन कैंसर का खतरा
स्किन कैंसर: प्रदूषण से स्किन कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है। हवा में मौजूद रसायन और जहरीले तत्व त्वचा पर जमा हो जाते हैं, जिससे त्वचा को नुकसान होता है।
अन्य कैंसर का जोखिम
ब्लैडर कैंसर, लिवर कैंसर और ब्रेन कैंसर भी लंबे समय तक प्रदूषण में रहने से हो सकते हैं।
कैंसर से बचने के उपाय
दिल्ली के एक प्रसिद्ध कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर तरंग कृष्ण ने बताया है कि प्रदूषण से कैंसर का खतरा बहुत अधिक होता है। इससे बचने के लिए मास्क पहनना और स्वच्छता का ध्यान रखना आवश्यक है। इसके साथ ही, एक संतुलित आहार भी जरूरी है।
संतुलित आहार कैसे हो?
सात्विक भोजन: हल्का और कम तेल वाला सात्विक भोजन करें, जिससे इम्यूनिटी मजबूत होती है।
एंटीऑक्सिडेंट्स: अपनी डाइट में विटामिन-सी और डी शामिल करें। सप्लीमेंट्स लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
हल्दी-तुलसी का काढ़ा: रोजाना एक कप हल्दी, तुलसी और अदरक का काढ़ा पिएं। यह इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ-साथ प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों को कम करता है।