प्रधानमंत्री कार्यालय का नया अध्याय: एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव में शिफ्टिंग
प्रधानमंत्री कार्यालय का नया स्थान
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) जो वर्तमान में साउथ ब्लॉक में स्थित है, अगले महीने एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव में स्थानांतरित होने जा रहा है। यह नया भवन सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत बनाया गया है, जिसमें न केवल प्रधानमंत्री कार्यालय, बल्कि कैबिनेट सचिवालय, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय और अत्याधुनिक कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाएं भी शामिल होंगी। यह नया परिसर प्रधानमंत्री के आधिकारिक निवास के निकट भी है।
नए भवन की आवश्यकता
सरकारी सूत्रों के अनुसार, मौजूदा भवनों में जगह की कमी और आधुनिक सुविधाओं का अभाव लंबे समय से महसूस किया जा रहा था। साउथ ब्लॉक और नॉर्थ ब्लॉक, जहां से सरकार दशकों से कार्य कर रही है, अब पुरानी जरूरतों के अनुसार बने हैं। प्रधानमंत्री ने हाल ही में गृह मंत्रालय और कार्मिक मंत्रालय के नए कार्यालय 'कर्तव्य भवन-3' के उद्घाटन के दौरान कहा था कि हमारी प्रशासनिक मशीनरी अभी भी ब्रिटिश कालीन इमारतों पर निर्भर है। इन इमारतों में पर्याप्त जगह, रोशनी और वेंटिलेशन की कमी है, जो आधुनिक कार्यशैली के अनुरूप नहीं है।
नए पीएमओ का स्वरूप
सूत्रों के अनुसार, नए प्रधानमंत्री कार्यालय को एक नया नाम दिया जा सकता है, जो 'सेवा' की भावना को दर्शाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में कहा था कि पीएमओ जनता का होना चाहिए, यह मोदी का पीएमओ नहीं है। इस बयान से स्पष्ट है कि नया कार्यालय केवल प्रशासनिक शक्ति का केंद्र नहीं होगा, बल्कि इसे सेवा और पारदर्शिता का प्रतीक बनाने का प्रयास किया जाएगा।
नॉर्थ और साउथ ब्लॉक का नया रूप
लगभग आठ दशकों तक केंद्र सरकार की नीतियों और निर्णयों का केंद्र रहे नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक अब संग्रहालय में परिवर्तित होने जा रहे हैं। सरकार ने इन्हें 'युगे युगीन भारत संग्रहालय' में बदलने का निर्णय लिया है। इस संग्रहालय की स्थापना के लिए राष्ट्रीय संग्रहालय और फ्रांस के म्यूजियम डेवलपमेंट के बीच एक समझौता हुआ है।
सांस्कृतिक विरासत का केंद्र
सरकार का दावा है कि प्रस्तावित संग्रहालय भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करेगा। इसमें प्राचीन काल की उपलब्धियों के साथ-साथ आधुनिक भारत की प्रगति और भविष्य की संभावनाएं भी शामिल होंगी। यह संग्रहालय हमारे गौरवमयी अतीत, वर्तमान और उज्ज्वल भविष्य का संगम होगा, जिससे नागरिक और विदेशी पर्यटक भारत की ऐतिहासिक यात्रा का अनुभव कर सकेंगे।