प्रधानमंत्री मोदी का 12वां स्वतंत्रता दिवस भाषण: क्या कहेंगे इस बार?
मोदी का ऐतिहासिक भाषण
इस शुक्रवार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले की प्राचीर से अपना 12वां स्वतंत्रता दिवस भाषण देने जा रहे हैं। यह अवसर तब आ रहा है जब भारत ने हाल ही में 'ऑपरेशन सिंदूर' को सफलतापूर्वक पूरा किया है। मोदी ने अपने कार्यकाल में इंदिरा गांधी के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया है, और अब वे केवल जवाहरलाल नेहरू से पीछे हैं, जिन्होंने 17 बार इस अवसर पर भाषण दिया।
इंदिरा गांधी का योगदान
इंदिरा गांधी ने 1966 से 1977 और फिर 1980 से अपनी हत्या तक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। इस दौरान उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर 16 बार भाषण दिए, जो हमेशा राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर केंद्रित होते थे। इसी तरह, मोदी के भाषणों में भी समसामयिक मुद्दों और भविष्य की योजनाओं पर जोर दिया जाता है।
पिछले भाषणों की विशेषताएँ
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषणों में कई महत्वपूर्ण नीतिगत घोषणाएँ की हैं। 2024 में, उन्होंने 98 मिनट के भाषण में समान नागरिक संहिता का समर्थन किया और 'वन नेशन, वन इलेक्शन' का भी समर्थन किया। उनके भाषणों में आतंकवाद, नक्सलवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा पर कठोर रुख प्रमुख रहा है। इसके साथ ही, महिलाओं के सशक्तिकरण, डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसे मुद्दों पर भी उन्होंने जोर दिया है।
लाल किले से भाषणों का इतिहास
भारत की स्वतंत्रता के बाद से हर प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित किया है।
जवाहरलाल नेहरू (1947-1963): कुल 17 भाषण
लाल बहादुर शास्त्री (1964-1965): 2 भाषण
इंदिरा गांधी (1966-1976, 1980-1984): 16 भाषण
मोरारजी देसाई (1977-1978): 2 भाषण
चौधरी चरण सिंह (1979): 1 भाषण
राजीव गांधी (1985-1989): 5 भाषण
वी.पी. सिंह (1990): 1 भाषण
पी.वी. नरसिम्हा राव (1991-1995): 4 भाषण
एच.डी. देवेगौड़ा (1996): 1 भाषण
इंद्र कुमार गुजराल (1997): 1 भाषण
अटल बिहारी वाजपेयी (1998-2004): 6 भाषण
मनमोहन सिंह (2004-2014): 10 भाषण
नरेंद्र मोदी (2014 से अब तक): अब तक 11 भाषण, और इस वर्ष 12वां भाषण।
मोदी का विशेष अंदाज
प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषणों में भावनात्मक अपील, ऐतिहासिक संदर्भ और भविष्य की योजनाओं का मिश्रण प्रस्तुत करते हैं। वे हमेशा युवाओं, किसानों, सैनिकों और महिलाओं को सीधे संबोधित करते हैं। उनके भाषण केवल नीतिगत घोषणाएँ नहीं, बल्कि देश के सामूहिक सपनों को दिशा देने का प्रयास भी होते हैं।
इस बार की अपेक्षाएँ
विशेषज्ञों का मानना है कि मोदी के इस 12वें भाषण में 'नए भारत' की झलक और 2047 तक विकसित भारत के रोडमैप का स्पष्ट उल्लेख होगा। इसके साथ ही, ऑपरेशन सिंदूर की सफलता, राष्ट्रीय सुरक्षा और वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका भी चर्चा का केंद्र हो सकती है।