प्रधानमंत्री मोदी का चीन दौरा: एससीओ शिखर सम्मेलन 2025 में भागीदारी
एससीओ शिखर सम्मेलन 2025 का आयोजन
SCO summit 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के विशेष निमंत्रण पर, शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के 25वें शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए चीन के तियानजिन का दौरा करेंगे। विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने मंगलवार को यह जानकारी साझा की। यह यात्रा 31 अगस्त से 1 सितंबर तक निर्धारित है, जिसमें प्रधानमंत्री कुछ महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठकों में भी भाग लेंगे।
शिखर सम्मेलन की रूपरेखा
तन्मय लाल ने बताया कि एससीओ शिखर सम्मेलन का आगाज 31 अगस्त को स्वागत भोज के साथ होगा, जबकि मुख्य शिखर सम्मेलन 1 सितंबर को आयोजित किया जाएगा। इस दौरान कई महत्वपूर्ण द्विपक्षीय मुलाकातों की संभावना है, जो क्षेत्रीय सहयोग को और मजबूत करेंगी।
एससीओ का महत्व और भारत की भूमिका
एससीओ का महत्व और भारत की भूमिका
एससीओ का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद जैसी चुनौतियों का सामना करना है। तन्मय लाल ने बताया कि संगठन के सदस्य देशों के बीच सुरक्षा, व्यापार, संपर्क, और पर्यावरण संरक्षण जैसे कई सहयोग के क्षेत्र हैं। भारत ने हमेशा इन क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री मोदी ने 2018 से लेकर 2023 तक विभिन्न एससीओ शिखर सम्मेलनों में भाग लिया है। 2023 में भारत की अध्यक्षता में आयोजित 23वें शिखर सम्मेलन का विषय 'सुरक्षित एससीओ' था, जिसमें सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, संपर्क, एकता, और क्षेत्रीय अखंडता पर जोर दिया गया।
भारत की उपलब्धियां और योगदान
भारत की उपलब्धियां और योगदान
भारत की 2022-2023 की अध्यक्षता के दौरान कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की गईं, जैसे आतंकवाद और कट्टरता से निपटने के लिए संयुक्त बयान जारी करना, स्टार्टअप, नवाचार, पारंपरिक चिकित्सा, और डिजिटल समावेशन में सहयोग। इसके अलावा, वाराणसी को 2022-2023 के लिए एससीओ की सांस्कृतिक और पर्यटन राजधानी घोषित किया गया। लाल ने कहा, 'इन सभी पहलों को एससीओ सदस्य देशों ने सराहा है।' उन्होंने क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी संरचना (आरएटीएस) का भी उल्लेख किया, जिसकी अध्यक्षता भारत ने 2021-2022 में की थी।
भारत-चीन संबंध और भविष्य की संभावनाएं
भारत-चीन संबंध और भविष्य की संभावनाएं
हाल ही में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने 18-19 अगस्त को भारत का दौरा किया और प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग का संदेश और तियानजिन शिखर सम्मेलन का निमंत्रण सौंपा। प्रधानमंत्री मोदी ने इस शिखर सम्मेलन का समर्थन किया और कहा कि वह शी से तियानजिन में मिलने के लिए उत्सुक हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बयान में कहा गया, 'भारत और चीन के बीच स्थिर, विश्वसनीय और रचनात्मक संबंध क्षेत्रीय और वैश्विक शांति व समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।'