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प्रधानमंत्री मोदी का मणिपुर दौरा: विकास और शांति की नई पहल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 सितंबर को मणिपुर का दौरा करेंगे, जहां वे विस्थापितों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनेंगे और विकास योजनाओं की आधारशिला रखेंगे। यह दौरा न केवल राहत कार्यों पर केंद्रित है, बल्कि शांति और विश्वास बहाली के प्रयास के रूप में भी महत्वपूर्ण है। मोदी का यह दौरा मणिपुर में स्थिरता और विकास को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
 

मणिपुर में शांति की ओर कदम

मणिपुर, जो लंबे समय से अशांति और हिंसा का सामना कर रहा है, अब धीरे-धीरे सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रहा है। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 सितंबर को राज्य का दौरा करने वाले हैं। उनका यह दौरा राहत और विकास योजनाओं पर केंद्रित होगा, जिसे शांति और विश्वास बहाली के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।


चुराचांदपुर में विस्थापितों से मुलाकात

प्रधानमंत्री मोदी सुबह लगभग 12:15 बजे चुराचांदपुर पहुंचेंगे, जहां वे हाल की अशांति के दौरान विस्थापित हुए लोगों से मिलेंगे और उनकी समस्याओं को सुनेंगे। इसके साथ ही, वे शांति मैदान में एक बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगे और राज्य के विभिन्न हिस्सों में लागू होने वाले विकास और राहत कार्यों की आधारशिला रखेंगे।


कांगला में सांस्कृतिक जुड़ाव

कांगला में सांस्कृतिक जुड़ाव और परियोजनाओं का उद्घाटन


चुराचांदपुर के कार्यक्रम के बाद, प्रधानमंत्री लगभग 2:30 बजे इंफाल के कांगला परिसर पहुंचेंगे। कांगला मणिपुर की मेइती संस्कृति का प्रतीक है। यहां वे घाटी क्षेत्र के विस्थापित परिवारों से मिलेंगे और कई परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे।


विकास के लिए 2,500 करोड़ का पैकेज

2,500 करोड़ की विकास सौगात


इस दौरे के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी लगभग 1,300 करोड़ रुपये की नई परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे और 1,200 करोड़ रुपये की पहले से पूरी हो चुकी परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। इनमें सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे से जुड़े प्रोजेक्ट शामिल हैं। यह पैकेज मणिपुर को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने और शांति प्रक्रिया को मजबूत करने का हिस्सा है।


शांति बहाली की दिशा में बड़ा कदम

शांति बहाली की दिशा में बड़ा कदम


राज्य के मुख्य सचिव पुनीत कुमार गोयल के अनुसार, प्रधानमंत्री की यह यात्रा शांति और सामंजस्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। उन्होंने कहा कि मणिपुर न केवल एक सीमावर्ती राज्य है, बल्कि भारत की 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' का केंद्रीय स्तंभ भी है। यहां स्थिरता और सुरक्षा लौटाना पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण है।