प्रधानमंत्री मोदी का मालदीव दौरा: भारत-मालदीव संबंधों में नया मोड़
मालदीव में प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत
भारत-मालदीव संबंध: ब्रिटेन की यात्रा के बाद, प्रधानमंत्री मोदी वर्तमान में मालदीव में हैं, जहां उनका शानदार स्वागत किया गया। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू के साथ-साथ उनके विदेश, रक्षा, वित्त और गृह मंत्री भी एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करने के लिए मौजूद थे।
साल भर में बदलते रिश्ते
यह ध्यान देने योग्य है कि ये वही मंत्री हैं जिन्होंने एक साल पहले भारत और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ नकारात्मक टिप्पणियाँ की थीं। लेकिन अब समय के साथ, वे भारत के प्रधानमंत्री का स्वागत करने के लिए तत्पर हैं।
2024 में चीन की यात्रा के बाद, राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू ने आदेश दिया था कि कोई भी भारतीय सैन्यकर्मी, यहां तक कि नागरिक कपड़ों में भी, उनके देश में नहीं रह सकता। इस आदेश के तहत, भारत ने मालदीव की संप्रभुता का सम्मान करते हुए अपने सभी सैन्यकर्मियों को वापस बुला लिया।
मालदीव की स्थिति में बदलाव
मुइज़्ज़ू के राष्ट्रपति बनने के बाद, भारत के साथ मालदीव के संबंधों में खटास आ गई थी। भारत के खिलाफ लगातार बयानों के बाद, भारत ने भी जवाबी कार्रवाई की। जनवरी 2024 में, प्रधानमंत्री मोदी ने लक्षद्वीप का दौरा किया।
इस दौरान, मालदीव के कुछ मंत्रियों की विवादास्पद टिप्पणियों ने दोनों देशों के संबंधों को और बिगाड़ दिया। इसके परिणामस्वरूप, भारत में 'बॉयकॉट मालदीव' ट्रेंड करने लगा, जिससे पर्यटकों की संख्या में 50,000 की कमी आई।
भारत की सहायता
मालदीव की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर निर्भर है, जो पहले से ही कोरोना महामारी से प्रभावित थी। 2024 में, जब मालदीव विदेशी मुद्रा भंडार की कमी से जूझ रहा था, भारत ने 750 मिलियन डॉलर की मुद्रा अदला-बदली की सुविधा प्रदान की।
भारत ने मालदीव के अड्डू शहर में एक लिंक ब्रिज परियोजना का उद्घाटन किया और लगभग 29 मिलियन डॉलर की लागत से एक हवाई अड्डा विकसित कर रहा है। भारत ने हमेशा मानवीय आधार पर मालदीव की मदद की है।
चीन के कर्ज का खतरा
मालदीव पर चीन का 1.37 अरब डॉलर का कर्ज है। यदि कोई देश अपना कर्ज नहीं चुका पाता, तो चीन उस पर राजनीतिक और आर्थिक दबाव डालता है। मालदीव को डर है कि चीन की मेहरबानी उसे भारी पड़ सकती है।