प्रधानमंत्री मोदी का साधारण व्यवहार और जीएसटी सुधारों की नई दिशा
प्रधानमंत्री का अनुकरणीय व्यवहार
भारतीय राजनीति में प्रधानमंत्री की भूमिका हमेशा चर्चा का केंद्र रहती है। रविवार को बीजेपी सांसदों की कार्यशाला में पीएम मोदी का साधारण और अनुकरणीय व्यवहार एक उदाहरण बन गया। उन्होंने सांसदों के बीच एक सामान्य सदस्य की तरह बैठकर यह संदेश दिया कि नेतृत्व का अर्थ केवल सामने रहना नहीं, बल्कि सभी के साथ खड़ा होना है। इस बैठक में जीएसटी सुधारों पर महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया गया, जो देश की टैक्स व्यवस्था में बड़ा बदलाव लाने वाला है।
सांसदों के साथ समानता
बीजेपी सांसदों के लिए आयोजित इस कार्यशाला में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अन्य सांसदों के साथ सबसे पीछे बैठकर कार्यक्रम में भाग लिया। यह एक दुर्लभ दृश्य था, जहां देश का प्रधानमंत्री बिना किसी प्रोटोकॉल या विशेष स्थान के, अपने साथियों के बीच समान रूप से उपस्थित था। इस व्यवहार को उनकी विनम्रता और टीम भावना का प्रतीक माना जा रहा है।
जीएसटी सुधारों पर सहमति
जीएसटी सुधारों पर सहमति
कार्यशाला में सर्वसम्मति से केंद्र सरकार के जीएसटी सुधारों के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। हाल ही में 3 सितंबर को जीएसटी काउंसिल ने इन सुधारों को स्वीकृति दी थी। इस निर्णय के तहत टैक्स स्लैब की संख्या कम की गई और कई आवश्यक वस्तुओं व सेवाओं पर टैक्स दर घटा दी गई। बैठक में पारित प्रस्ताव ने इन बदलावों को ऐतिहासिक सुधार बताया।
आम जनता को राहत
आम जनता को राहत
नए जीएसटी ढांचे के अनुसार अब केवल दो प्रमुख टैक्स स्लैब रहेंगे: 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत। इसके अलावा, 'सिन गुड्स' यानी तंबाकू, शराब और लग्जरी उत्पादों पर 40 प्रतिशत टैक्स लगेगा। सरकार का कहना है कि इससे आम लोगों की जेब में ज्यादा पैसा बचेगा, जिससे खपत बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। किराना सामान, जूते-चप्पल, वस्त्र, खाद और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पाद जैसे कई रोज़मर्रा के सामान अब सस्ते होंगे।
अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा
अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा
सरकार का अनुमान है कि इन सुधारों से न केवल मध्यम वर्ग को राहत मिलेगी, बल्कि उद्योगों और बाजार में भी नई ऊर्जा आएगी। जिन वस्तुओं पर पहले 12 और 28 प्रतिशत टैक्स लगता था, उन्हें अब दो मुख्य श्रेणियों में समेट दिया गया है। इससे टैक्स स्ट्रक्चर सरल होगा और उपभोक्ताओं पर बोझ घटेगा। प्रधानमंत्री ने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में जो वादा किया था, यह सुधार उसी दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।