×

प्रधानमंत्री मोदी की अर्जेंटीना यात्रा: भारत-अर्जेंटीना संबंधों में नई ऊँचाइयाँ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्जेंटीना का दौरा किया, जो भारत और अर्जेंटीना के बीच संबंधों के लिए ऐतिहासिक है। यह यात्रा ऊर्जा, व्यापार, और रक्षा के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई है। अर्जेंटीना में लिथियम जैसे प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए महत्वपूर्ण है। जानें इस यात्रा के दौरान होने वाले संभावित सौदों और व्यापारिक संबंधों के विस्तार के बारे में।
 

प्रधानमंत्री मोदी का अर्जेंटीना दौरा

प्रधानमंत्री मोदी की अर्जेंटीना यात्रा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अपने पांच देशों के दौरे के तहत अर्जेंटीना का दौरा किया। यह यात्रा भारत और अर्जेंटीना के बीच संबंधों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है क्योंकि पिछले 50 वर्षों में यह पहला अवसर है जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री अर्जेंटीना आया है। इससे पहले, इंदिरा गांधी 1968 में यहां आई थीं।


इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य ऊर्जा, व्यापार, रक्षा और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को बढ़ावा देना है। अर्जेंटीना में प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता है, विशेषकर लिथियम, तांबा और शेल गैस में। लिथियम का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी में किया जाता है। एक भारतीय कंपनी ने अर्जेंटीना में लिथियम की खोज शुरू कर दी है, जिससे यात्रा के दौरान और अधिक समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है।




भारत और अर्जेंटीना के व्यापारिक संबंधों में वृद्धि

भारत और अर्जेंटीना के बीच व्यापार को मिलेगी मजबूती: भारत और अर्जेंटीना के बीच व्यापार 2024 में 5.2 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है। अब तक, व्यापार मुख्य रूप से सोयाबीन तेल पर केंद्रित था, लेकिन दोनों देश इसे और विस्तारित करना चाहते हैं। अर्जेंटीना भारतीय दवाइयों, चिकित्सा उपकरणों और आईटी सेवाओं की खरीदारी करना चाहता है, जबकि भारत अर्जेंटीना को फल, सब्जियां और डेयरी उत्पाद निर्यात करना चाहता है।


अर्जेंटीना भारत के तेजस लड़ाकू विमानों और अन्य रक्षा प्रौद्योगिकियों में रुचि दिखा रहा है। इस बातचीत में संयुक्त प्रशिक्षण, सह-उत्पादन और प्रौद्योगिकी साझा करने के पहलुओं पर चर्चा हो सकती है। अर्जेंटीना भारत की डिजिटल सेवाओं और स्वास्थ्य प्रणाली से भी सीखने की इच्छा रखता है। दोनों देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां कम लागत वाले उपग्रह प्रक्षेपण पर सहयोग करने के लिए सहमत हो सकती हैं।