प्रधानमंत्री मोदी ने वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर समारोह का उद्घाटन किया
वंदे मातरम के स्मरणोत्सव का उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर एक वर्ष तक चलने वाले राष्ट्रीय स्मरणोत्सव का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया। मोदी ने कहा कि यह वर्षगांठ देशवासियों को प्रेरित करेगी और एकता की भावना को मजबूत बनाएगी। उन्होंने कहा, 'वंदे मातरम भारत की एकता का सच्चा प्रतीक है, जिसने पीढ़ियों को प्रेरित किया है।' आगे उन्होंने कहा, 'आज जब हम इस गीत के 150 वर्ष पूरे कर रहे हैं, तो यह हमें नई प्रेरणा और ऊर्जा प्रदान करेगा।'
भारत की एकता का प्रतीक
प्रधानमंत्री ने कहा, 'वंदे मातरम् की मुख्य भावना भारत, मां भारती है... भारत एक ऐसा राष्ट्र है जो हर चुनौती का सामना करते हुए मजबूत बना है।' उन्होंने इस गीत के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह भारत को एक कुंदन के रूप में उभारता है।
'विभाजन के बीज बोए'
मोदी ने वंदे मातरम के इतिहास पर चल रही राजनीतिक बहस का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 1937 में वंदे मातरम के कुछ पदों को मंजूरी देने के निर्णय ने वैचारिक मतभेद पैदा किए, जो बाद में भारत के विभाजन में योगदान देने वाले बने। उन्होंने कहा, 'इसकी भावना का एक हिस्सा अलग हो गया,' और यह विभाजनकारी मानसिकता आज भी देश के लिए चुनौती बनी हुई है।
राजनीतिक घमासान के बीच बयान
प्रधानमंत्री का यह बयान भाजपा और कांग्रेस के बीच वंदे मातरम की विरासत को लेकर चल रहे राजनीतिक विवाद के बीच आया है। भाजपा प्रवक्ता सीआर केसवन ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने 1937 में वंदे मातरम को सांप्रदायिक बना दिया था। उन्होंने कहा कि नेहरू को डर था कि यह गीत मुसलमानों को चिढ़ा सकता है।
राष्ट्रीय उत्सव का शुभारंभ
इस कार्यक्रम के साथ 7 नवंबर, 2025 से 7 नवंबर, 2026 तक चलने वाले राष्ट्रीय उत्सव का औपचारिक शुभारंभ हुआ, जो वंदे मातरम के 150 वर्ष की यात्रा का स्मरण कराता है। यह गीत स्वतंत्रता आंदोलन को गति देने वाला और आज भी राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है।
वंदे मातरम की रचना
वंदे मातरम की रचना बंकिम चंद्र चटर्जी ने 7 नवंबर 1875 को अक्षय नवमी के दिन की थी। यह गीत पहली बार साहित्यिक पत्रिका बंगदर्शन में उनके उपन्यास आनंदमठ के एक भाग के रूप में प्रकाशित हुआ था। प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले वर्ष का समारोह राष्ट्र को उस विरासत और सांस्कृतिक शक्ति से पुनः जोड़ने का अवसर प्रदान करेगा जिसका प्रतिनिधित्व वंदे मातरम करता है।