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प्रशांत किशोर की राजनीतिक यात्रा: 2032 तक सक्रिय रहने का संकल्प

प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनीति में 2032 तक सक्रिय रहने का संकल्प लिया है। हाल के चुनाव परिणामों ने उनकी पार्टी को बड़ा झटका दिया है, जहां अधिकांश उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। जानें कि वे इस चुनौती का सामना कैसे करेंगे और भविष्य में उनकी योजनाएँ क्या हैं। क्या वे अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बनाए रख पाएंगे? इस लेख में उनके राजनीतिक सफर और आगामी रणनीतियों पर चर्चा की गई है।
 

प्रशांत किशोर का राजनीतिक भविष्य

प्रशांत किशोर ने स्पष्ट किया है कि वे बिहार की राजनीति में बने रहेंगे। हाल ही में उन्होंने कहा था कि वे किसी भी कार्य को कम से कम 10 वर्षों तक करते हैं। संयुक्त राष्ट्र में अपनी नौकरी के बाद, उन्होंने चुनाव प्रबंधन की कंपनी स्थापित की और उसे भी 10 साल तक चलाया। अब जब वे 2022 में राजनीति में कदम रख चुके हैं, तो उनका इरादा है कि वे कम से कम 10 साल तक सक्रिय रहेंगे। इसका अर्थ है कि वे 2032 तक राजनीतिक क्षेत्र में बने रहेंगे। लेकिन यह सवाल उठता है कि वे यह कैसे करेंगे? उनकी पार्टी के लिए हाल के चुनाव परिणाम एक बड़ा झटका साबित हुए हैं। अधिकांश सीटों पर उनके उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है।


यह ध्यान देने योग्य है कि पिछले चुनाव में चिराग पासवान ने 135 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उनके किसी भी उम्मीदवार की जमानत नहीं गई थी। उन्होंने 5.66 प्रतिशत वोट प्राप्त किए थे। इसके विपरीत, प्रशांत किशोर के लगभग 99 प्रतिशत उम्मीदवारों की जमानत नहीं बची है और उन्हें बहुत कम वोट मिले हैं। इस स्थिति में अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बनाए रखना उनके लिए चुनौतीपूर्ण होगा। उनकी पार्टी के समर्थकों के सोशल मीडिया हैंडल चुनाव परिणामों के बाद चुप्पी साधे हुए हैं। सूत्रों के अनुसार, वे अभी एक और राउंड का चुनाव प्रबंधन देखेंगे। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और तमिलनाडु में विजय के चुनावों में काम करने के बाद, वे फिर से बिहार में सक्रिय होंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि वे इस बार राजनीति में किस तरह से कदम रखते हैं और संगठन को कैसे मजबूत करते हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि यदि नीतीश कुमार की पार्टी 25 सीटों से अधिक जीतती है, तो वे राजनीति छोड़ देंगे। लोग इस बात को भी याद कर रहे हैं।