प्राकृतिक आपदाओं के संकेत: जानवरों का अद्भुत व्यवहार
प्राकृतिक आपदाओं के संकेत
प्राकृतिक आपदाओं के संकेत: धरती की बदलती स्थिति और बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं ने वैश्विक स्तर पर चिंता का माहौल बना दिया है। कोरोना जैसी महामारी से लेकर बाढ़, भूकंप और भूस्खलन जैसी विनाशकारी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इंसान आधुनिक तकनीकों से इन आपदाओं का पूर्वानुमान लगाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन लक्षण शास्त्र के अनुसार, जानवरों में यह क्षमता स्वाभाविक होती है। कई जीवों में ऐसे अंग होते हैं, जो आपदाओं के संकेतों को पहले से पहचान लेते हैं और असामान्य व्यवहार के माध्यम से हमें सचेत करते हैं।
सांप कैसे देता है संकेत?
जानवरों के व्यवहार में अचानक बदलाव को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है, लेकिन वैज्ञानिक और पर्यावरण विशेषज्ञ मानते हैं कि इनकी अंतर्दृष्टि को समझना आवश्यक है। उदाहरण के लिए, भूकंप या भूस्खलन से पहले सांप अपने बिलों से बाहर निकल आते हैं। यह संकेत हो सकता है कि जमीन के नीचे कुछ हलचल हो रही है, जिसे वे अपने संवेदनशील जबड़ों से महसूस कर लेते हैं।
मेंढक देता है चेतावनी
इसी तरह, मेंढक बाढ़ या भूकंप के आसार होते ही तालाबों और नदियों को छोड़कर पलायन करने लगते हैं। ये जीव धरती की कंपन और नमी में बदलाव को बारीकी से महसूस कर सकते हैं। राजहंस जैसे पक्षी ऐसे समय में झुंड बनाकर उड़ने लगते हैं, जबकि बतखें डर के मारे सीधे पानी में उतर जाती हैं।
मोर बदल देता है अपना व्यवहार
मोरों का व्यवहार भी ऐसे समय में बदल जाता है। वे झुंड में चीखते हैं और अत्यधिक सक्रिय हो जाते हैं। यह सामान्य से हटकर प्रतिक्रिया संकेत देती है कि कुछ असामान्य घटित होने वाला है। वैज्ञानिकों के अनुसार, पक्षियों की सुनने और देखने की क्षमता इतनी विकसित होती है कि वे धरती में चल रही हलचल या चुंबकीय परिवर्तन को पहले ही पकड़ सकते हैं।
समुद्री जीव कैसे करते हैं आगाह?
समुद्री जीवों का व्यवहार भी इन आपदाओं से पहले बदल जाता है। मछलियां बाढ़ या सुनामी जैसी घटनाओं से पहले समुद्र या नदी की तली में जाकर छिप जाती हैं और किनारे की ओर नहीं आतीं। यह उनके लिए एक सुरक्षात्मक प्रवृत्ति है, जो उनके जैविक तंत्र से जुड़ी होती है। इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि पशु-पक्षी और रेंगने वाले जीव किसी भी प्रकार की बड़ी भूगर्भीय या पर्यावरणीय हलचल को पहले ही महसूस कर लेते हैं। वे केवल अपने जीवन की सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से इंसानों को भी आने वाले खतरे की चेतावनी दे सकते हैं।
वैज्ञानिक कर रहे शोध
वैज्ञानिक इस विषय पर निरंतर शोध कर रहे हैं ताकि यह समझा जा सके कि जानवरों को इन घटनाओं का पूर्वाभास कैसे हो जाता है। हालांकि अभी तक इसका कोई ठोस तकनीकी स्पष्टीकरण नहीं मिल पाया है, लेकिन दुनियाभर में ऐसे कई प्रमाण हैं, जहां जानवरों के असामान्य व्यवहार के बाद बड़ी आपदाएं आई हैं। यदि हम इन प्राकृतिक संकेतों को समझने की आदत डाल लें, तो समय रहते सतर्कता अपनाकर जान-माल के नुकसान को काफी हद तक टाला जा सकता है। प्रकृति अपनी भाषा में चेतावनी देती है, बस हमें उसे समझने की आवश्यकता है।