फडणवीस का राहुल गांधी को जवाब: लोकतंत्र का अपमान न करें
मुख्यमंत्री फडणवीस का प्रतिउत्तर
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी द्वारा अंतरराष्ट्रीय मीडिया में प्रकाशित लेख में चुनाव परिणामों और भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं पर उठाए गए सवालों के बाद, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार को एक विस्तृत और तथ्यों पर आधारित जवाब पेश किया। फडणवीस ने राहुल के आरोपों को ‘जनता के जनादेश का अपमान’ बताया और कहा कि भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली पर बार-बार सवाल उठाना ‘शहरी नक्सल मानसिकता’ का हिस्सा है।
राहुल गांधी के बयान पर फडणवीस की प्रतिक्रिया
“जनता ने नकारा, अब राहुल गांधी जनता को नकार रहे हैं”
फडणवीस ने राहुल गांधी के उस बयान को चुनौती दी जिसमें चुनाव आयोग, ईवीएम और मतदान पैटर्न पर संदेह जताया गया था। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग पर सवाल उठाकर राहुल गांधी भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर रहे हैं। “40.81 लाख नए मतदाताओं में 26.46 लाख युवा मतदाता हैं। यह हर चुनाव में होता है। इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है,” उन्होंने कहा।
भारत जोड़ो यात्रा पर फडणवीस का हमला
नक्सलवाद और ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर हमला
फडणवीस ने राहुल की भारत जोड़ो यात्रा को ‘भारत तोड़ो यात्रा’ करार दिया और कहा कि यह देश की संस्थाओं के प्रति अविश्वास फैलाने का माध्यम बन चुकी है। उन्होंने शहरी नक्सलवाद का जिक्र करते हुए कहा कि यह विचारधारा संविधान के खिलाफ है और कांग्रेस अब उसी मानसिकता के करीब जा रही है।
मतदान प्रतिशत पर स्पष्टीकरण
‘वोटिंग प्रतिशत’ और सीटों पर NDA की बढ़त का जवाब
राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि आखिरी घंटे में मतदान प्रतिशत अचानक कैसे बढ़ गया। इस पर फडणवीस ने चुनाव आयोग के नियमों और पुराने डेटा का हवाला देकर बताया कि हर चुनाव में 5 से 6 बजे के बीच मतदान का ग्राफ बढ़ता है — यह कोई नई बात नहीं है। “वोटिंग के आखिरी घंटे में तेजी आना सामान्य है। इस पर संदेह जताना लोकतंत्र की समझ का अपमान है,” उन्होंने कहा।
लोकतंत्र की रक्षा की आवश्यकता
लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश
फडणवीस ने लेख के अंत में स्पष्ट किया कि जनता का जनादेश बार-बार खारिज करना लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है। उन्होंने राहुल गांधी को ‘आत्मचिंतन’ करने की सलाह देते हुए कहा कि हार के बाद तंत्र पर आरोप लगाने की परंपरा खतरनाक है। राहुल गांधी के लेख ने कई संवैधानिक मुद्दों को उठाने की कोशिश की, जबकि देवेंद्र फडणवीस ने तथ्यों, आंकड़ों और संवैधानिक दृष्टिकोण से एक स्पष्ट जवाब दिया है। यह विवाद अब राजनीतिक से अधिक वैचारिक लड़ाई का रूप लेता जा रहा है।