×

फतेहाबाद के किसान ने लौकी की खेती में किया कमाल

फतेहाबाद के किसान रवि पुनिया ने लौकी की खेती में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। उन्होंने 6 फुट लंबी लौकी उगाकर न केवल अपने खेतों में बदलाव लाया है, बल्कि अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बने हैं। रवि की खेती की तकनीक और उनके द्वारा उगाए जाने वाले कश्मीरी और गोल्डन लहसून की विशेषताएँ जानें। उनकी कहानी कृषि क्षेत्र में नवाचार और सफलता का एक बेहतरीन उदाहरण है।
 

Bottle Gourd Farming: फतेहाबाद में नई खेती का उदय

फतेहाबाद | हरियाणा सरकार की प्रोत्साहन नीति का प्रभाव अब स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। किसान अब पारंपरिक खेती को छोड़कर ऑर्गेनिक और बागवानी खेती की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। इस बदलाव का एक उदाहरण फतेहाबाद जिले के भूथनखुर्द गांव के किसान रवि पुनिया हैं, जो इस समय चर्चा का विषय बने हुए हैं।


रवि पुनिया ने अपने खेत में 6 फुट लंबी लौकी उगाकर सभी को चौंका दिया है। पिछले तीन वर्षों से वे लौकी की खेती कर रहे हैं और इसके बीज भी तैयार कर रहे हैं, जो हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय तक पहुंच रहे हैं।


शिवानी किस्म की लौकी की विशेषताएँ

रवि पुनिया बताते हैं कि सामान्य लौकी की लंबाई आमतौर पर डेढ़ से दो फुट होती है, जबकि शिवानी किस्म की लौकी 6 से 7 फुट तक बढ़ सकती है।


इसकी विशेषताएँ हैं—


3 फुट का हिस्सा सब्जी बनाने के लिए उपयोग होता है।


4 से 4.5 फुट का हिस्सा जूस बनाने में काम आता है।


बीच के हिस्से से बीज तैयार किए जाते हैं, जो अच्छे दामों पर बिकते हैं।


एकड़ से लाखों की कमाई

रवि का कहना है कि वे प्रति एकड़ 5 से 6 लाख रुपये तक कमा लेते हैं। उनका मानना है कि मचान विधि से खेती करने पर सब्जियों और फलों का उत्पादन 600 से 900 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुंच सकता है।


बीएससी एग्रीकल्चर और एमए करने के बाद, रवि ने कुछ समय नौकरी की, लेकिन फिर नई तकनीकों से खेती करने का निर्णय लिया। उन्होंने देसी किस्म शिवानी लौकी को मचान विधि से उगाना शुरू किया और अब उनकी लौकियां 6 फुट तक पहुंच रही हैं।


कश्मीरी और गोल्डन लहसून की खेती

लौकी के साथ-साथ, रवि कश्मीरी लहसून की भी खेती करते हैं। इस लहसून की विशेषता यह है कि:


इसमें कम कलियां होती हैं।


यह 200 से 250 ग्राम तक बढ़ जाता है।


इसके अलावा, वे गोल्डन लहसून का उत्पादन भी करते हैं, जिसकी मार्केट में कीमत 3000 रुपये प्रति क्विंटल तक होती है।


रवि की आधुनिक खेती का यह मॉडल अब क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन चुका है।