फिजियोथेरेपिस्ट अब 'डॉ' का उपनाम नहीं रख सकेंगे: स्वास्थ्य मंत्रालय का नया आदेश
फिजियोथेरेपिस्ट के लिए नया नियम
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिसके अनुसार देशभर के फिजियोथेरेपिस्ट अब अपने नाम के आगे 'डॉ' (Dr.) नहीं लिख सकेंगे। यह निर्णय विभिन्न चिकित्सा संगठनों की आपत्तियों के बाद लिया गया है, जिन्होंने इस बात पर चिंता जताई थी कि 'डॉक्टर' शब्द का उपयोग करने से आम जनता और मरीजों में भ्रम उत्पन्न होता है।स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक सुनीता शर्मा ने बताया कि इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन (IAPMR) सहित कई संस्थाओं ने इस मुद्दे पर कड़ी आपत्ति की थी। हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय के एक आयोग ने फिजियोथेरेपी के 2025 के नए पाठ्यक्रम में फिजियोथेरेपिस्ट के लिए 'डॉ.' शब्द का उपयोग करने की सिफारिश की थी, जिसके बाद यह विवाद उत्पन्न हुआ।
आपत्तियों में यह स्पष्ट किया गया था कि फिजियोथेरेपिस्ट मेडिकल डॉक्टर नहीं होते हैं और उन्हें मेडिकल डॉक्टरों की तरह प्रशिक्षण नहीं दिया जाता। इससे मरीजों में भ्रम उत्पन्न होता है और यह नीम-हकीमी को बढ़ावा दे सकता है। इसके अलावा, फिजियोथेरेपिस्ट बीमारियों का निदान करने के लिए प्रशिक्षित नहीं होते हैं और उन्हें केवल उन्हीं मरीजों का इलाज करना चाहिए जिन्हें डॉक्टर द्वारा रेफर किया गया हो। गलत फिजियोथेरेपी से मरीज की स्थिति और बिगड़ सकती है।
इन गंभीर मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, महानिदेशक ने आदेश दिया है कि फिजियोथेरेपी के 2025 के पाठ्यक्रम से 'डॉ.' उपनाम के उपयोग की सिफारिश को तुरंत हटा दिया जाए।