बंगलूरू में बख्तरबंद वैन से 7.1 करोड़ की चोरी, नकली आरबीआई अधिकारी बने लुटेरे
बंगलूरू में हुई हैरान करने वाली चोरी
नई दिल्ली। बुधवार को बंगलूरू की सड़कों पर एक चौंकाने वाली घटना घटी, जब पांच से छह अपराधियों ने खुद को आरबीआई अधिकारी बताकर एक बख्तरबंद कैश वैन से 7.1 करोड़ रुपये चुरा लिए। यह पूरी वारदात इतनी योजनाबद्ध थी कि महज आधे घंटे में सब कुछ हो गया।
कैसे शुरू हुई धोखाधड़ी की कहानी?
दोपहर लगभग 12:30 बजे, सीएमएस इंफो सिस्टम्स की कैश वैन एचडीएफसी बैंक (जेपी नगर) से तीन कैश बॉक्स लेकर 22 किमी दूर एचबीआर लेआउट की ओर जा रही थी। अचानक जयनगर के अशोक पिलर के पास एक मारुति जेन कार ने वैन को रोक दिया। इसके साथ ही एक इनोवा भी वहां आकर रुकी। जेन कार से तीन लोग उतरे और वैन के कर्मचारियों से कहा, 'हम आरबीआई अधिकारी हैं, आपकी कंपनी पर नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है, हमें बयान लेना है।' इस समय वैन में चार लोग थे- ड्राइवर बिनोद कुमार, कस्टोडियन आफताब और दो गनमैन राजन्ना व तम्मैया। स्टाफ ने बिना किसी संदेह के उनके साथ एमयूवी में बैठने का निर्णय लिया और अपनी राइफलें वैन में ही छोड़ दीं।
नकली अधिकारियों का नया तरीका
बड़ी कार में बैठे अपराधियों ने बताया कि पूछताछ के लिए उन्हें पुलिस स्टेशन जाना होगा और कैश बॉक्स को आरबीआई ऑफिस ले जाया जाएगा। स्टाफ को उन्होंने सिद्धापुर पुलिस स्टेशन की ओर पैदल भेज दिया। ड्राइवर को अलग निर्देश दिया गया कि वह वैन लेकर डेयरी सर्किल फ्लाइओवर पर इंतजार करे।
तीन मिनट में कैश की चोरी
डेयरी सर्किल पर ड्राइवर बिनोद इंतजार कर रहा था, तभी बदमाश वहां पहुंचे। उन्होंने बंदूक दिखाकर कैश बॉक्स वैन से निकाले और पास खड़ी मारुति वैगन-आर में डाल दिए। इसके बाद वे मौके से फरार हो गए। इस दौरान जिस कार में वे आए थे, उसे वहीं छोड़ दिया। ड्राइवर को समझ नहीं आया कि जो 'अफसर' थे, वे असल में लुटेरे थे।
पुलिस की जांच जारी
बंगलूरू पुलिस कमिश्नर सीमांत कुमार सिंह ने बताया कि सीएमएस ने शिकायत करने में देरी की, जिससे समय हाथ से निकल गया। अब आठ विशेष टीमें इस मामले की जांच कर रही हैं। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि एमयूवी के आगे भारत सरकार का लोगो लगा था, लेकिन जांच में पता चला कि उसकी नंबर प्लेट फर्जी थी।