बच्चों की सुरक्षा के लिए समन्वय और कार्रवाई की आवश्यकता
बच्चों के खिलाफ अपराधों से निपटने की चुनौती
नई दिल्ली। बच्चों के खिलाफ अपराधों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई में बचाव और अभियोजन के बीच की बड़ी खाई एक महत्वपूर्ण बाधा बन गई है। इस खाई के कारण बच्चे बाल श्रम, ट्रैफिकिंग, बाल विवाह और यौन शोषण जैसी समस्याओं में फंस जाते हैं। पटना में आयोजित ‘भारत में मानव दुर्व्यापार: समन्वय और रोकथाम तंत्र को मजबूत करना’ विषय पर राज्यस्तरीय परामर्श बैठक में बच्चों की ट्रैफिकिंग और अन्य अपराधों से निपटने के लिए बेहतर समन्वय और रोकथाम रणनीतियों की आवश्यकता पर जोर दिया गया। यह बैठक ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ द्वारा बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सहयोग से आयोजित की गई थी।
जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन का योगदान
बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए 250 से अधिक नागरिक संगठनों का नेटवर्क, जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी), 418 जिलों में सक्रिय है। जेआरसी ने अपने सहयोगियों के माध्यम से 1 अप्रैल 2024 से 30 अप्रैल 2025 के बीच 56,242 बच्चों को ट्रैफिकिंग गिरोहों से मुक्त कराया और 38,353 से अधिक मामलों में कानूनी कार्रवाई की। बिहार में, जेआरसी के 35 सहयोगी संगठन सभी 38 जिलों में कार्यरत हैं। इन संगठनों ने 2023 से अब तक 4,991 बच्चों को बाल श्रम और ट्रैफिकिंग से मुक्त किया और 21,485 बाल विवाह रोके।
समुदाय की भागीदारी की आवश्यकता
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य हुलेश मांझी ने बच्चों के खिलाफ अपराधों के खिलाफ सामुदायिक भागीदारी के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “हमें बच्चों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों की सूचना देनी चाहिए। बहुत से कमजोर बच्चे शोषण का शिकार होते हैं, लेकिन हम इसे अनदेखा कर देते हैं। यह रवैया बदलना चाहिए।” बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की सदस्य सचिव शिल्पी सोनिराज ने कहा कि ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामलों को संवेदनशीलता से देखने की आवश्यकता है।
समन्वय और कार्रवाई की आवश्यकता
बिहार पुलिस के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डॉ. अमित कुमार जैन ने कहा कि ह्यूमन ट्रैफिकिंग से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के बीच मजबूत समन्वय आवश्यक है। जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के राष्ट्रीय संयोजक रवि कांत ने भारत में ट्रैफिकिंग की रोकथाम के लिए कानूनी ढांचे की सराहना की और कहा कि इन कानूनों का प्रभावी क्रियान्वयन आवश्यक है।
बैठक में चर्चा
बैठक में अधिकारियों ने मानव दुर्व्यापार से जुड़े मौजूदा कानूनी और नीतिगत ढांचे की समीक्षा की। उन्होंने कानून प्रवर्तन एजेंसियों, न्यायपालिका और सरकारी विभागों के बीच ठोस समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बच्चों की ट्रैफिकिंग के उन्मूलन के लिए समयबद्ध कार्ययोजना बनाने की सिफारिश की।
ह्यूमन ट्रैफिकिंग का गंभीर खतरा
ध्यान देने योग्य है कि नशीले पदार्थों और हथियारों की तस्करी के बाद ह्यूमन ट्रैफिकिंग दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा संगठित अपराध है। ट्रैफिकिंग गिरोह मासूम बच्चों को अपने जाल में फंसाते हैं और उन्हें शारीरिक और मानसिक शोषण के लिए मजबूर करते हैं।