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बरेली हिंसा पर सपा प्रतिनिधिमंडल को रोका गया, डिप्टी सीएम ने कहा नौटंकी

बरेली में पिछले हफ्ते हुई हिंसा के बाद सपा का प्रतिनिधिमंडल बरेली जाने से रोका गया। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने इस कदम को नौटंकी बताया। सपा सांसदों ने पुलिस के खिलाफ आवाज उठाई, जबकि विपक्ष के नेता ने कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए। जानें इस राजनीतिक घटनाक्रम के पीछे की पूरी कहानी।
 

बरेली में हिंसा के बाद सियासी हलचल

बरेली हिंसा: पिछले हफ्ते शुक्रवार को नमाज़ के बाद बरेली में हुई हिंसा ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी (सपा) के 14 सांसदों और विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल बरेली जाने वाला था, लेकिन उन्हें रोक दिया गया। इस बीच, यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने सपा के इस कदम को नौटंकी करार दिया है।


डिप्टी सीएम ने शनिवार को सोशल मीडिया पर लिखा, 'सपा प्रमुख अखिलेश यादव का बरेली में प्रतिनिधिमंडल भेजना एक नाटक और बचकाना कदम है। सपा की पहचान मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति से है। विधानसभा चुनाव 2027 में सपा की स्थिति खराब होने वाली है। यूपी में शांति, सुशासन और कानून व्यवस्था हमारी पहचान है। सपाइयों को यह पसंद नहीं आ रहा है।'




सपा नेताओं की प्रतिक्रिया:


सपा सांसद हरेंद्र सिंह मलिक और इकरा हसन ने शनिवार को बरेली के लिए प्रस्थान किया, लेकिन गाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इस पर सांसद इकरा हसन ने कहा, 'मुझे समझ नहीं आ रहा कि हमें किस कानून के तहत रोका जा रहा है। उत्तर प्रदेश में जंगलराज है और राज्य सरकार संवैधानिक मूल्यों का पालन नहीं कर रही है। मैं एक जनप्रतिनिधि हूँ और लोगों का दर्द बांटने बरेली जा रही थी, लेकिन हमें रोक दिया गया।' उन्होंने आगे कहा, 'हम प्रशासन से अनुरोध करते हैं कि वह हमारे साथ चले। हम कुछ भी छिपाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। हमारा कोई एजेंडा नहीं है... पता नहीं यूपी सरकार अपनी कौन सी करतूत छुपाना चाहती है कि हमें बरेली नहीं जाने दे रही है...'


इससे पहले, लखनऊ में पुलिस द्वारा रोके जाने पर विपक्ष के नेता माता प्रसाद पांडे ने कहा, 'हमें जाने से रोका जा रहा है... यह कोई सांप्रदायिक दंगा नहीं था... पुलिस ने खुद ही कानून-व्यवस्था बिगाड़ दी है... वे पक्षपाती हो गए हैं। अगर दो समुदायों में झड़प होती, तो मैं मानता कि कोई गंभीर घटना घटी है...' उन्होंने आगे कहा, 'जब हमने पुलिस से पूछा, तो उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। स्थानीय लोगों ने बताया कि घटना के बाद बड़े पैमाने पर अन्याय हुआ। एक व्यक्ति पर आरोप लगाया गया है और चार को गिरफ्तार किया जा रहा है... वह समुदाय डरा हुआ है... वे प्रशासन और पुलिस से डरे हुए हैं। उनका दूसरे समुदाय से कोई झगड़ा नहीं है।'