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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अदालत की अवमानना में छह महीने की सजा

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अदालत की अवमानना के मामले में छह महीने की सजा सुनाई गई है। यह सजा एक ऑडियो क्लिप के आधार पर दी गई, जिसमें उन्हें न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करते सुना गया। अवामी लीग ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और इसके राजनीतिक प्रभावों के बारे में।
 

शेख हसीना को सजा का ऐलान

ढाका - बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग की नेता शेख हसीना को अदालत की अवमानना के आरोप में छह महीने की कारावास की सजा सुनाई है।


मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, न्यायमूर्ति गोलाम मुर्तुजा माजुमदार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय ट्राइब्यूनल ने यह निर्णय लिया। इस मामले में अवामी लीग की छात्र इकाई ‘छात्र लीग’ के नेता शकील अकांडा बुलबुल को भी दो महीने की सजा दी गई है। यह सजा एक ऑडियो क्लिप के आधार पर दी गई, जिसमें शेख हसीना को न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करते और ट्राइब्यूनल को धमकी देते सुना गया था। इस आधार पर ट्राइब्यूनल ने पिछले महीने हसीना और बुलबुल को शो-कॉज नोटिस जारी किया था। उल्लेखनीय है कि शेख हसीना अगस्त 2024 में देश छोड़कर चली गई थीं।


अवामी लीग ने इस मामले की निंदा करते हुए इसे एक ‘शो ट्रायल’ करार दिया है और कहा कि यह सत्तारूढ़ अंतरिम सरकार द्वारा राजनीतिक प्रतिशोध के तहत शुरू किया गया है। पार्टी ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा आईसीटी में निष्पक्ष सुनवाई और प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर जताई गई चिंता का हवाला देते हुए कहा कि मौजूदा प्रशासन ने केवल अवामी लीग नेताओं को निशाना बनाया है, जबकि आम नागरिकों, पत्रकारों, धार्मिक अल्पसंख्यकों और महिलाओं पर हुए अत्याचारों को नजरअंदाज किया गया है। अवामी लीग ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार के कई अधिकारी पहले ही सार्वजनिक मंचों पर शेख हसीना को दोषी ठहरा चुके हैं, जिससे निष्पक्ष सुनवाई की संभावना समाप्त हो गई है।


यह ट्राइब्यूनल 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना और उनके सहयोगियों द्वारा किए गए युद्ध अपराधों की जांच और सजा के लिए स्थापित किया गया था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सजा वर्तमान कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार के राजनीतिक प्रतिशोध का एक हिस्सा है, जिसने शेख हसीना की सत्ता से बेदखली के तुरंत बाद उन पर और उनके समर्थकों पर कई मामले दर्ज किए। शेख हसीना, बांग्लादेश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हैं और देश में लोकतंत्र की बहाली की एक प्रमुख आवाज रही हैं।