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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई गई है। यह फैसला पिछले साल ढाका में हुए छात्र आंदोलन से संबंधित है। शेख हसीना, जो पिछले एक साल से भारत में निर्वासित जीवन बिता रही हैं, को तीन गंभीर आरोपों में दोषी पाया गया है। इस फैसले के बाद बांग्लादेश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है, जहां उनकी पार्टी ने विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
 

शेख हसीना को दोषी ठहराया गया

नई दिल्ली। बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल (ICT) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को पिछले वर्ष ढाका में हुए छात्र आंदोलन के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी पाया है। अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई है। शेख हसीना पिछले एक साल से भारत में निर्वासित जीवन बिता रही हैं। इस बीच, बांग्लादेश में अगले साल फरवरी में आम चुनाव होने वाले हैं। उन्हें तीन आरोपों में दोषी ठहराया गया है, जिसके लिए एक ही मौत की सजा दी गई है। इस फैसले की घोषणा पर कोर्ट रूम में वकीलों ने ताली बजाई।


आरोप और सजा

ICT ने शेख हसीना को तीन गंभीर अपराधों के लिए दोषी ठहराया है, जिनमें भड़काना, हिंसा के लिए आदेश देना और अत्याचारों को रोकने में विफल रहना शामिल हैं। इसके अलावा, पूर्व गृहमंत्री को भी फांसी की सजा सुनाई गई है। दोनों ही नेता इस समय भारत में हैं। वहीं, पुलिस प्रमुख को 5 साल की जेल की सजा दी गई है। इस निर्णय के बाद, बांग्लादेश की मौजूदा सरकार ने कहा है कि वह भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए कानूनी कदम उठाएगी। अभियोजन पक्ष ने इस फैसले को शहीदों और देशभक्तों की जीत बताया है।


राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाए जाने पर कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी ने खुशी व्यक्त की है। जमात के नेता मिया गोलम पारवार ने इसे बांग्लादेश के लिए एक महत्वपूर्ण दिन बताया और जुलाई 2024 में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी। दूसरी ओर, शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने इस फैसले के विरोध में देशव्यापी बंद का आह्वान किया है और अपने समर्थकों से हड़ताल करने का निर्देश दिया है।