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बांग्लादेश में 1971 के नरसंहार पर फिर से उठे विवाद, पाकिस्तान के विदेश मंत्री का दौरा

पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक दार का बांग्लादेश दौरा 1971 के नरसंहार पर विवाद को फिर से ताजा कर रहा है। अवामी लीग ने इस दौरे की आलोचना की है, जबकि इशाक दार ने माफी के मुद्दे को उठाया है। भारत इस दौरे को गंभीरता से देख रहा है, क्योंकि यह क्षेत्रीय सुरक्षा और ऐतिहासिक संवेदनाओं पर प्रभाव डाल सकता है। जानें इस दौरे की राजनीतिक महत्ता और इसके संभावित परिणाम।
 

बांग्लादेश में विवादास्पद दौरा

नई दिल्ली। बांग्लादेश में 1971 में हुए नरसंहार को लेकर एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक दार का बांग्लादेश दौरा एशियाई राजनीति में चर्चा का विषय बन गया है। यह पहली बार है जब पिछले 13 वर्षों में कोई पाकिस्तानी नेता बांग्लादेश का दौरा कर रहा है। अवामी लीग ने इस दौरे की आलोचना की है। इस दौरे से बांग्लादेश और पाकिस्तान के रिश्तों में सुधार और क्षेत्रीय तनाव की संभावनाएं जुड़ी हुई हैं।
पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक दार ने ढाका में औपचारिक दौरा किया है। उनका मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारना और राजनीतिक संवाद को बढ़ावा देना बताया जा रहा है। हालांकि, इस दौरे ने 1971 के बांग्लादेशी नरसंहार के विवाद को फिर से उजागर कर दिया है, जिसके प्रति भारत और बांग्लादेश दोनों ही सतर्क हैं।


पाकिस्तान की माफी का मुद्दा

पाकिस्तान मांग चुका है माफी

इशाक दार ने कहा कि 1971 के युद्ध और नरसंहार से जुड़े तीन लंबित मुद्दे पहले ही दो बार हल किए जा चुके हैं और माफी भी मांगी जा चुकी है। उन्होंने बताया कि पहला समाधान 1974 में हुआ और दूसरा पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ की बांग्लादेश यात्रा के दौरान हुआ था। दार ने इसे ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में बताया, जो दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि, बांग्लादेश सरकार ने इसे खारिज करते हुए कहा कि ये मुद्दे अभी भी अनसुलझे हैं।


बांग्लादेश के राजनीतिक दलों से बातचीत

बांग्लादेश के राजनीतिक दलों से बातचीत

इशाक दार ने बांग्लादेश के विभिन्न राजनीतिक दलों से मुलाकात की, जिनमें जमात-ए-इस्लामी और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी शामिल थे। राष्ट्रीय नागरिक पार्टी के नेता अख्तर हुसैन ने कहा कि यह दौरा पहले से मौजूद शत्रुतापूर्ण संबंधों को सुधारने का अवसर हो सकता है। राजनीतिक दलों ने पाकिस्तान से 1971 के मुद्दों को सुलझाने की अपील की और द्विपक्षीय संवाद पर जोर दिया।


अवामी लीग की आलोचना

अवामी लीग ने दौरे की तीखी आलोचना

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने इस दौरे की तीखी आलोचना की है। उनका कहना है कि नरसंहार को स्वीकार किए बिना सामान्यीकरण विश्वासघात है। पार्टी ने यह भी स्पष्ट किया कि इतिहास को नहीं बदला जा सकता और न्याय को सौदेबाजी का विषय नहीं बनाया जा सकता।


भारत की चिंताएं

इशाक का बांग्लादेश यात्रा भारत के लिए है चिंता का विषय

भारत इस दौरे को गंभीरता से देख रहा है क्योंकि बांग्लादेश और पाकिस्तान के संबंधों में सुधार का असर क्षेत्रीय सुरक्षा और ऐतिहासिक संवेदनाओं पर पड़ सकता है। 1971 के नरसंहार में तीन लाख से अधिक लोगों की मौत और लाखों महिलाओं के साथ अपराध किए गए थे। नॉर्थईस्ट न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश हमेशा पाकिस्तान से औपचारिक माफी और न्याय की मांग करता रहा है। इस दौरे ने एक बार फिर क्षेत्रीय राजनीति में तनाव और संवेदनशील इतिहास को उजागर किया है, जिससे दक्षिण एशिया में कूटनीतिक संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो गया है।