बांग्लादेश में चुनावी हिंसा का खतरा: लूटे गए हथियारों की खोज में सरकार
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अंतरराष्ट्रीय समाचार: 2024 में, जब बांग्लादेश में शेख हसीना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हुए, तब उपद्रवियों ने ढाका और उसके आस-पास के पुलिस थानों पर हमला किया। इस दौरान 5,000 से अधिक बंदूकें और हजारों कारतूस चुराए गए। पुलिस चौकियां असहाय थीं और ये हथियार अपराधियों के हाथ लग गए। यूनुस की अंतरिम सरकार के गठन के बाद से इन हथियारों की तलाश तेज की गई, लेकिन एक साल बीतने के बावजूद 1,500 बंदूकें अब भी बरामद नहीं हो पाईं। बांग्लादेश पुलिस की विशेष इकाई भी इस मिशन में विफल रही है, जिससे यह सवाल उठता है कि ये हथियार आखिर कहां गए।
गैंग्स के हाथों में लूटे गए हथियार
इत्तेफाक अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, लूटे गए हथियार अब बांग्लादेश के बड़े गैंग और पेशेवर अपराधियों के पास पहुंच चुके हैं। ये ऐसे गिरोह हैं जिनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई करने से भी डर रही है। पुलिस का मानना है कि इन हथियारों के कारण खून-खराबा बढ़ सकता है।
चुनावी हिंसा का खतरा
पुलिस सूत्रों के अनुसार, सबसे बड़ा खतरा यह है कि दिसंबर 2025 से शुरू होने वाली चुनावी प्रक्रिया में इन हथियारों का इस्तेमाल किया जा सकता है। आशंका है कि गैंग और राजनीतिक गुर्गे इनसे मतदाताओं को डराने और बूथ लूटने जैसे कार्य कर सकते हैं।
हसीना का पतन और लूट
5 अगस्त 2024 को, जिस दिन शेख हसीना को सत्ता से बेदखल किया गया, उसी दिन देशभर के थानों से 5,818 हथियार और 67,262 गोलियां लूट ली गईं। यूनुस सरकार के लिए यह मामला अब राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है और समय बहुत कम बचा है।
ईनाम की योजना
बांग्लादेश के गृह सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी ने बताया कि अब हथियारों की बरामदगी के लिए ईनाम की योजना शुरू की जाएगी। जो भी व्यक्ति लूटे गए हथियारों की जानकारी देगा, उसे इनाम दिया जाएगा। यह योजना पूरे देश में प्रचारित की जाएगी।
सरकार की अंतिम कोशिश
पुलिस गली-गली जाकर लूटे गए हथियारों का सुराग ढूंढेगी और हर हाल में चुनाव से पहले इन्हें बरामद करने की कोशिश करेगी। यूनुस सरकार नहीं चाहती कि चुनाव के समय ये हथियार हिंसा का कारण बनें, अन्यथा इसके परिणाम देश के लिए खतरनाक हो सकते हैं।