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बांग्लादेश में छात्र नेता उस्मान हादी का अंतिम संस्कार, सरकार को मिला अल्टीमेटम

बांग्लादेश की ढाका यूनिवर्सिटी में छात्र नेता उस्मान हादी का अंतिम संस्कार हुआ, जिसमें मोहम्मद यूनुस ने भावुक शब्द कहे। इस दौरान इंकलाब मंच ने सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है कि वह हादी की हत्या के जिम्मेदार लोगों का खुलासा करे। जानें इस घटना के पीछे की पूरी कहानी और बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति पर इसका प्रभाव।
 

उस्मान हादी का अंतिम संस्कार

नई दिल्ली। शनिवार को बांग्लादेश की ढाका यूनिवर्सिटी में छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी का अंतिम संस्कार किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस भी इस जनाजे में शामिल हुए। नमाज-ए-जनाजा संसद के दक्षिणी प्लाज पर अदा की गई। ढाका यूनिवर्सिटी और उसके आस-पास के क्षेत्रों में अभी भी तनाव का माहौल बना हुआ है।

इस मौके पर मोहम्मद यूनुस ने कहा कि आज यहां हजारों लोग एकत्रित हुए हैं। केवल यहीं नहीं, बल्कि देशभर और विदेश में बसे प्रवासी समुदाय के लोग भी हादी के बारे में सुनने के लिए उत्सुक हैं। प्रिय उस्मान हादी, हम आपको अलविदा कहने नहीं आए हैं, आप हमारे दिलों में हमेशा रहेंगे। जब तक बांग्लादेश का अस्तित्व रहेगा, आप इस राष्ट्र का हिस्सा बने रहेंगे।

यूनुस ने आगे कहा कि आपने हमें सिखाया कि कैसे विनम्रता के साथ लोगों से जुड़ें, बिना किसी को ठेस पहुंचाए अपने विचार व्यक्त करें और गरिमा के साथ चुनावी अभियान चलाएं। हम इस सीख को अपनाने का संकल्प लेते हैं और अपनी राजनीतिक संस्कृति को उस स्तर तक ले जाने का प्रयास करेंगे, जहां हादी का उदाहरण हमेशा जीवित रहेगा। हम किसी के सामने नहीं झुकेंगे और दुनिया के सामने सिर ऊंचा रखेंगे। यह जनता से किया गया आपका वादा था, और हम इसे हर हाल में पूरा करेंगे।

इंकलाब मंच से जुड़े हादी के सहयोगी अब्दुल्ल अल जबेर ने यूनुस सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। मंच ने मांग की है कि सरकार यह स्पष्ट करे कि हादी की हत्या के जिम्मेदार लोग कौन हैं और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। उल्लेखनीय है कि उस्मान हादी ने शेख हसीना के खिलाफ आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 32 वर्षीय हादी, शेख हसीना विरोधी इंकलाब मंच के प्रवक्ता थे और अगले साल होने वाले आम चुनाव में ढाका से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में प्रचार कर रहे थे। इंकलाब मंच पिछले साल बांग्लादेश में जुलाई विद्रोह के दौरान चर्चा में आया था, जिसके कारण शेख हसीना को सत्ता छोड़कर देश से भागना पड़ा।