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बांग्लादेश में मीडिया पर हमले: पत्रकारों ने तीन घंटे छत पर बिताए

बांग्लादेश में उस्मान हादी की मौत के बाद भड़की हिंसा ने मीडिया संस्थानों को भी नहीं बख्शा। ढाका में दंगाइयों ने 'द डेली स्टार' और 'प्रथम आलो' के दफ्तरों में आग लगा दी, जिससे 28 पत्रकार तीन घंटे तक छत पर फंसे रहे। इस घटना ने पत्रकारों के लिए खतरनाक स्थिति पैदा कर दी, जब वे अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। जानिए इस खौफनाक मंजर के बारे में और कैसे पत्रकारों ने मौत का सामना किया।
 

बांग्लादेश में हिंसा का नया अध्याय

नई दिल्ली: बांग्लादेश में उस्मान हादी की मौत के बाद भड़की हिंसा अब मीडिया संस्थानों तक पहुंच गई है। हाल ही में, ढाका में दंगाइयों ने प्रतिष्ठित अंग्रेजी समाचार पत्र 'द डेली स्टार' और बांग्ला समाचार पत्र 'प्रथम आलो' के कार्यालयों में आग लगा दी। कारवान बाजार में स्थित इन दफ्तरों में भीड़ ने पहले तोड़फोड़ की और फिर आगजनी की। इस दौरान, 'द डेली स्टार' की जलती हुई इमारत की छत पर लगभग 28 पत्रकार तीन घंटे तक फंसे रहे, जिन्होंने उस रात मौत का सामना किया। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि 'द डेली स्टार' का न्यूज़रूम पूरी तरह से जलकर खाक हो गया, जिसके बाद प्रबंधन ने अखबार के प्रिंट और ऑनलाइन प्रकाशन को बंद करने का निर्णय लिया।


एक रिपोर्ट के अनुसार, न्यूज़रूम में काम कर रहे कर्मचारियों को एक फोन कॉल के माध्यम से भीड़ के आने की चेतावनी मिली थी। घबराए स्टाफ ने नीचे भागने की कोशिश की, लेकिन तब तक उपद्रवी निचली मंजिलों पर कब्जा कर चुके थे और आग लगा चुके थे। धुएं के कारण पत्रकारों का समूह जान बचाने के लिए 9वीं मंजिल की छत पर भाग गया। डर का आलम यह था कि जब एक कैंटीन कर्मचारी ने फायर-एग्जिट सीढ़ी से नीचे उतरने की कोशिश की, तो नीचे खड़ी उन्मादी भीड़ ने उसे पकड़कर बेरहमी से पीटा। इस घटना के बाद छत पर मौजूद पत्रकारों ने नीचे उतरने की हिम्मत नहीं जुटाई।


स्थिति और भी भयावह हो गई जब फायर सर्विस के कर्मचारी आग बुझाने और फंसे लोगों को निकालने पहुंचे, लेकिन नीचे जारी तोड़फोड़ के कारण पत्रकार नीचे आने को तैयार नहीं थे। छत पर सन्नाटा तब चीख में बदल गया जब कई हमलावर छत तक पहुंच गए और दरवाजे को पीटने लगे। अपनी जान बचाने के लिए पत्रकारों ने छत पर रखे गमलों से दरवाजे को ब्लॉक करने की कोशिश की। इस बीच, एडिटर्स काउंसिल के प्रेसिडेंट नूरुल कबीर और फोटोग्राफर शाहिदुल आलम ने भीड़ को समझाने की कोशिश की, लेकिन उपद्रवियों ने उनके साथ भी बदसलूकी की।


काफी प्रयास के बाद वहां मौजूद सैनिकों ने सीढ़ियों के एक तरफ से रास्ता बनाया, जिसके बाद फायर-एग्जिट और इमारत के पिछले रास्ते से पत्रकारों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सका। हालांकि, उसी दौरान हमलावर दूसरे रास्ते से लूटपाट जारी रखे हुए थे। एक पत्रकार ने कहा कि वे खुशकिस्मत थे जो इतनी बड़ी आपदा से बच गए, लेकिन उन्हें नहीं पता कि उनका देश अब किस दिशा में जा रहा है।