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बारिश की माप और पूर्वोत्तर भारत में भूस्खलन की त्रासदी

इस लेख में बारिश को मापने के विभिन्न तरीकों के बारे में जानकारी दी गई है, जिसमें रेन गेज का उपयोग प्रमुख है। इसके साथ ही, पूर्वोत्तर भारत में हाल ही में हुई भूस्खलन की घटनाओं का भी जिक्र किया गया है, जिसमें कई सैनिकों की जान गई है। जानें इस विषय पर और क्या जानकारी है।
 

बारिश की मापने की विधियाँ

बारिश की मात्रा को मापने के लिए अक्सर मिलीमीटर का उपयोग किया जाता है। यह एक अंतरराष्ट्रीय मानक है, जो बारिश की सटीकता को समझने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, यदि 1 मिमी बारिश होती है, तो इसका अर्थ है कि 1 वर्ग मीटर पर 1 लीटर पानी गिरा है। इस तरह से बारिश की मात्रा को समझना सरल हो जाता है।


बारिश को मापने के लिए रेन गेज का उपयोग सबसे अधिक किया जाता है, जो एक पारंपरिक उपकरण है। इसमें एक कांच की बोतल होती है, जिस पर पैमाना लिखा होता है, और इसे खुली जगह पर रखा जाता है। रेन गेज बारिश की मात्रा को मिमी या इंच में मापता है, जिससे यह एक मानक उपकरण बन गया है। हालांकि, वर्तमान में बारिश को मापने के अन्य तरीके भी विकसित हो चुके हैं।


पूर्वोत्तर भारत में भूस्खलन की स्थिति

पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में भारी बारिश और भूस्खलन ने गंभीर स्थिति उत्पन्न कर दी है। हाल ही में, सिक्किम में एक सेना के कैंप में भूस्खलन के कारण तीन लोगों की मौत हो गई, जिनमें कुछ सैनिक भी शामिल हैं। इसके अलावा, नौ सैनिक लापता हैं और उनकी खोज जारी है। मृतकों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है।