बिजनौर में स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही से युवक की मौत
बिजनौर जिले में एक युवक की मौत ने सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही को उजागर किया है। 26 वर्षीय सरफराज अपनी मां के साथ डायलिसिस के लिए अस्पताल गया था, लेकिन बिजली जाने के कारण उपचार अधूरा रह गया। अस्पताल स्टाफ की लापरवाही और जनरेटर की कमी ने उसकी जान ले ली। इस घटना ने प्रदेश की स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक के दावों पर सवाल उठाए हैं। जानें इस संवेदनशील मामले की पूरी जानकारी।
Jun 14, 2025, 14:57 IST
सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली की विफलता
उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले से एक बार फिर सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की संवेदनहीनता का मामला सामने आया है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक युवक की मौत ने न केवल उसके परिवार को झकझोर दिया, बल्कि यह भी दर्शाया कि सिस्टम की खामोशी ने "जनता की जान की कीमत" को एक बार फिर सवालों के घेरे में डाल दिया है। यह घटना शुक्रवार दोपहर की है। 26 वर्षीय सरफराज अपनी मां के साथ डायलिसिस के लिए अस्पताल आया था। जैसे ही डॉक्टरों ने प्रक्रिया शुरू की, अचानक बिजली चली गई। मशीन रुक गई और खून चढ़ाने की प्रक्रिया अधूरी रह गई। सरफराज की मां सलमा ने अस्पताल के स्टाफ से गुहार लगाई कि जनरेटर चालू करें, वरना उनका बेटा मर जाएगा। लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी।अस्पताल के कर्मचारियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि डीजल खत्म हो गया है। सलमा ने अपने बेटे की जान बचाने की उम्मीद में निरीक्षण पर आए सीडीओ पूर्ण बोरा से भी मदद मांगी। उन्होंने डॉक्टरों को तुरंत CPR देने के निर्देश दिए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। सरफराज की सांसें थम चुकी थीं। सरफराज ने पहले भी पांच बार डायलिसिस कराया था और इस बार खुद अस्पताल आया था। लेकिन इस बार न तो अस्पताल की मशीनों ने सहयोग किया और न ही सरकार के दावे सच साबित हुए।
सरफराज की मौत के बाद अब सवाल सीधे प्रदेश की योगी सरकार और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक पर उठ रहे हैं। क्या यही है वह "सुदृढ़ स्वास्थ्य तंत्र" जिसका हर मंच पर जिक्र किया जाता है?