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बिलावल भुट्टो की चेतावनी: सिंधु जल संधि में बदलाव से हो सकता है सैन्य संघर्ष

पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने भारत को चेतावनी दी है कि यदि सिंधु जल संधि में बदलाव किया गया, तो यह सैन्य संघर्ष का कारण बन सकता है। उन्होंने कहा कि सिंधु नदी के पानी का मोड़ना पाकिस्तान की संस्कृति और इतिहास पर हमला है। इस बीच, पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने भी भारत को चेतावनी दी है। जानें इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी और इसके संभावित परिणाम।
 

सिंधु जल संधि पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया

सिंधु जल संधि: पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने सोमवार को भारत को चेतावनी दी कि यदि नई दिल्ली सिंधु जल संधि में कोई बदलाव करती है, तो यह सैन्य संघर्ष का कारण बन सकता है। उन्होंने कहा कि सिंधु नदी के पानी का मोड़ना पाकिस्तान की संस्कृति, इतिहास और सभ्यता पर हमला है।


भारत-पाकिस्तान संबंधों में बढ़ता तनाव

पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, बिलावल ने सिंध सरकार के संस्कृति विभाग के एक कार्यक्रम में कहा कि यदि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिंधु नदी पर हमला करते हैं, तो वे हमारे इतिहास और संस्कृति पर भी हमला कर रहे हैं।


बिलावल की धमकी

बिलावल का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने भारत को चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि यदि पाकिस्तान डूबता है, तो वह आधी दुनिया को अपने साथ ले जाएगा। यह बयान अमेरिका के टैम्पा, फ्लोरिडा में अमेरिकी सैन्य अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान दिया गया था।


पानी की आपूर्ति पर चिंता

बिलावल ने आरोप लगाया कि मोदी सिंधु पर प्रस्तावित जल परियोजना का उपयोग पाकिस्तान को चेतावनी देने के लिए कर रहे हैं और पानी की आपूर्ति रोकने की धमकी दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाया है ताकि भारत की आक्रामक जल नीति को उजागर किया जा सके।


पाकिस्तान की ताकत

बिलावल ने यह भी कहा कि सिंध के लोग हमेशा सिंधु की रक्षा के लिए आगे आए हैं और यदि युद्ध होता है, तो पाकिस्तान के लोग मोदी का सामना करने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने दावा किया कि ऐसे युद्ध में पाकिस्तान अपने सभी छह नदियों पर फिर से नियंत्रण कर सकता है।


सिंधु जल संधि का महत्व

जल बंटवारे के नियम: सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई थी, जिसमें नदियों के जल बंटवारे के नियम तय किए गए थे। इस समझौते के तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों का उपयोग और पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों का उपयोग करने का अधिकार दिया गया था।