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बिलासपुर बस दुर्घटना: 15 लोगों की जान गई, प्रशासन पर उठे सवाल

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में एक भयानक बस दुर्घटना में 15 लोगों की जान चली गई। भारी बारिश के बीच पहाड़ी से मलबा गिरने से यह हादसा हुआ। प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शोक व्यक्त किया है। प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि दो दिन पहले भी मलबा गिरा था। जानें इस घटना के पीछे की कहानी और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के उपाय।
 

भारी बारिश में हुआ भयानक हादसा

हिमाचल प्रदेश में मंगलवार को मरोतन से घुमारवीं जा रही एक 32 सीटर निजी बस पर शाम लगभग 6:30 बजे पहाड़ी से मलबा और चट्टानें गिर गईं। इस दुर्घटना में 15 लोगों की जान चली गई। अब तक भाई-बहन समेत तीन बच्चों को सुरक्षित निकाला जा सका है। यह हादसा बरठीं में भल्लू पुल के पास शुक्र खड्ड के किनारे हुआ। मलबा गिरने से बस की छत उखड़ गई और वह खड्ड के किनारे गिर गई, जबकि मलबा बस में बैठे यात्रियों पर गिरा। बस में चीख-पुकार मच गई। पीछे से आ रहे अन्य वाहन चालकों ने पुलिस को सूचित किया। हादसे का शिकार हुए अधिकांश लोग काम से लौट रहे थे।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की और मृतकों के परिवारों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से दो लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये देने की घोषणा की। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर लिखा कि वह बिलासपुर में हुए हादसे से दुखी हैं और जिन लोगों ने अपनों को खोया है, उनके प्रति संवेदना व्यक्त की।


मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने भी इस हादसे पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने मृतकों के परिवारों को हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर समेत अन्य नेताओं ने भी शोक प्रकट किया।


हादसे की चौंकाने वाली बात यह है कि इस पहाड़ी से दो दिन पहले भी मलबा गिरा था, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पहाड़ी पहले से ही कमजोर थी और बरसात में और भी खतरनाक हो जाती है। प्रशासन ने पहले गिरे मलबे को हटाने के बाद चेतावनी बोर्ड नहीं लगाया और न ही मार्ग को बंद किया। लोगों का मानना है कि प्रशासन की लापरवाही ने इस हादसे को जन्म दिया।


भारत में मॉनसून की वापसी सितंबर में होती है, लेकिन इस बार अक्टूबर में भी बारिश के कारण भारी नुकसान हुआ है। दार्जिलिंग में तबाही के बाद यह दुर्घटना हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में हुई। मौसम में बदलाव और जानमाल के नुकसान को देखते हुए यह स्पष्ट है कि अगर हम प्रकृति के प्रति उदासीन रहे और पहाड़ी क्षेत्रों में अंधाधुंध निर्माण जारी रहा, तो भविष्य में और भी गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ेगा।


प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सजग रहने की आवश्यकता

हमें समय रहते चेतना होगा, अन्यथा हमारी आने वाली पीढ़ियों को प्रकृति के प्रकोप का सामना करना पड़ेगा।


मुख्य संपादक का संदेश

-इरविन खन्ना, मुख्य संपादक


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