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बिहार चुनाव की तैयारी: चुनाव आयोग का दौरा और संभावित तिथियाँ

बिहार चुनाव की तैयारी के तहत चुनाव आयोग ने हाल ही में राज्य का दौरा किया। इस दौरान चुनाव की संभावित तिथियों और चरणों पर चर्चा की गई। सत्तारूढ़ दल की इच्छाओं के अनुसार चुनाव की तिथियाँ तय होने की संभावना है। रेल मंत्री द्वारा प्रवासी श्रमिकों के लिए दी गई छूट योजना से यह स्पष्ट हो गया है कि मतदान प्रक्रिया कब तक चलेगी। जानें इस चुनाव में क्या हो सकता है खास।
 

चुनाव आयोग का बिहार दौरा

चुनाव आयोग की एक टीम ने बिहार में दो दिवसीय दौरा किया, जो हर राज्य में चुनाव से पहले एक सामान्य प्रक्रिया है। इस दौरान आयोग ने राजनीतिक दलों से चुनाव की तारीखों पर चर्चा की और यह जानने का प्रयास किया कि चुनाव कितने चरणों में आयोजित किए जाएंगे। रविवार को विभिन्न समाचार पत्रों में इस विषय पर खबरें छाई रहीं कि किस पार्टी ने कितने चरणों में चुनाव कराने का सुझाव दिया। हालांकि, इन चर्चाओं का वास्तविकता में कोई खास महत्व नहीं होता। अक्सर सत्तारूढ़ दल की इच्छाओं के अनुसार चुनाव की तिथियाँ निर्धारित की जाती हैं। अब तक ऐसा नहीं हुआ है कि चुनाव आयोग ने विपक्षी दलों के सुझावों को स्वीकार किया हो। इसलिए यह मान लेना उचित है कि भाजपा के अनुरोध के अनुसार छठ के बाद और दो चरणों में चुनाव होने की संभावना अधिक है।


चुनाव की तिथियों का संकेत

इस बार चुनाव की तिथियों में कोई रहस्य नहीं रह गया था। रेल मंत्री ने बिहार से बाहर काम करने वाले प्रवासी श्रमिकों, पेशेवरों और ऑटो-रिक्शा चालकों के लिए एक योजना की घोषणा की थी, जिसमें उन्हें सौ या दो सौ रुपए की छूट दी जाएगी। इससे यह स्पष्ट हो गया था कि बिहार का चुनाव कब तक संपन्न होगा। रेल मंत्रालय ने बताया कि देश के किसी भी हिस्से में रहने वाले लोग दिवाली और छठ के लिए बिहार जाने वाली ट्रेनों में यात्रा करेंगे, और यदि वे 17 नवंबर के बाद लौटते हैं, तो उन्हें टिकट पर 20 प्रतिशत छूट मिलेगी। उदाहरण के लिए, यदि कोई श्रमिक दिल्ली से पटना गया है और 17 सितंबर के बाद उसी ट्रेन से लौटता है, तो उसे पांच सौ रुपए की टिकट पर एक सौ रुपए की छूट मिलेगी। रेल मंत्री की योजना है कि 28 अक्टूबर को छठ समाप्त होने के बाद श्रमिक 17 सितंबर तक रुकें ताकि वे वोट डाल सकें। इससे यह स्पष्ट हो गया कि मतदान प्रक्रिया 15 नवंबर तक पूरी होगी। ध्यान रहे कि बिहार के लोग छठ के बाद ज्यादा दिन नहीं रुकते हैं क्योंकि उन्हें अपनी नौकरी पर लौटना होता है।