बिहार चुनाव में एनडीए गठबंधन की सीट शेयरिंग पर सियासी हलचल तेज
एनडीए में सीट बंटवारे की चर्चाएं
बिहार विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही एनडीए गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर सियासी गतिविधियाँ बढ़ गई हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के अध्यक्ष चिराग पासवान, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है, ने बीजेपी और जेडीयू से 45 से 54 सीटों की मांग की है। इस मुद्दे पर गठबंधन में अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है और वार्ताएँ जारी हैं।
तेजस्वी यादव की श्रद्धांजलि
तेजस्वी यादव ने अर्पित की श्रद्धांजलि
इस बीच, तेजस्वी यादव ने एलजेपी के संस्थापक और चिराग के पिता रामविलास पासवान की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में लिखा कि रामविलास पासवान जी ने वंचितों के अधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए जीवनभर संघर्ष किया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह श्रद्धांजलि केवल एक सम्मान नहीं, बल्कि बीजेपी-जेडीयू और एनडीए में चल रही सीट शेयरिंग की खींचतान पर एलजेपी को एक संदेश भी हो सकती है।
चिराग पासवान की बैठक
मंगलवार को दिल्ली में चिराग पासवान ने बीजेपी नेताओं धर्मेंद्र प्रधान और विनोद तावड़े के साथ लगभग पचास मिनट तक बैठक की। इस बैठक में एलजेपी ने अपनी सीटों की मांग को स्पष्ट किया। पार्टी का कहना है कि उन्हें 2024 लोकसभा चुनाव में जीती गई पांच सीटों और 2020 विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन के आधार पर उचित सीटें मिलनी चाहिए। चिराग ने विशेष रूप से कहा कि जीत हासिल किए गए लोकसभा क्षेत्रों में कम से कम दो विधानसभा सीटें एलजेपी को दी जानी चाहिए।
बीजेपी का आश्वासन
बीजेपी ने दिया भरोसा
बीजेपी ने बैठक में आश्वासन दिया कि उनकी मांगों पर जल्द ही चर्चा की जाएगी। सूत्रों के अनुसार, अगले दो-तीन दिनों में एनडीए गठबंधन की ओर से सीट बंटवारे का अंतिम ऐलान किया जा सकता है। जानकारी के अनुसार, बीजेपी और जेडीयू को लगभग 205 सीटें मिलने की संभावना है, जबकि छोटे सहयोगियों जैसे HAM, RLSP और एलजेपी को 38 सीटें मिल सकती हैं। एलजेपी को 25, HAM को 7 और RLSP को 6 सीटें मिलने का अनुमान है।
चिराग पासवान ने कहा है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए भी तैयार हैं और एनडीए में संतोषजनक समाधान न मिलने पर जन सुराज पार्टी के साथ गठबंधन की संभावना पर विचार कर सकते हैं। 2020 में भी चिराग ने जेडीयू से नाराज होकर कुछ सीटों पर एनडीए से अलग चुनाव लड़ा था, जिससे गठबंधन को नुकसान हुआ था। इस बार भी सीट शेयरिंग को लेकर खींचतान एनडीए के लिए चुनौती बनती दिख रही है।