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बिहार चुनाव में जन सुराज पार्टी का विवाद: प्रशांत किशोर ने खुद को किया अलग

बिहार में चुनावी माहौल गरमाता जा रहा है, जहां जन सुराज पार्टी ने 51 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है। प्रशांत किशोर ने खुद को चुनावी दौड़ से बाहर रखा है, जिससे पार्टी में विवाद उत्पन्न हो गया है। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि मेहनती लोगों को नजरअंदाज किया गया है। इस स्थिति में प्रशांत किशोर ने सफाई दी है कि टिकट उन लोगों को दिए गए हैं जिन्होंने पार्टी को आगे बढ़ाने में मेहनत की। जानिए इस राजनीतिक हलचल के पीछे की कहानी और जन सुराज की चुनौतियाँ।
 

बिहार में चुनावी हलचल तेज


राष्ट्रीय समाचार: बिहार में चुनावी माहौल गरमाता जा रहा है। प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने 51 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है, जो कि आम आदमी पार्टी के बाद दूसरी है। हालांकि, इस सूची के जारी होते ही विवाद उत्पन्न हो गया। पटना में पार्टी कार्यालय में टिकट न मिलने से कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। कई नेताओं ने आरोप लगाया कि मेहनती कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया गया है।


प्रशांत किशोर का चुनावी निर्णय

पीके का चुनाव न लड़ने का फैसला


सूची जारी करने से पहले प्रशांत किशोर ने एक चौंकाने वाला निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि वे खुद विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनका कहना है कि उनकी प्राथमिकता पार्टी को 243 सीटों पर मजबूती से लड़ाना है। कार्यकर्ताओं का मानना है कि इस निर्णय से उन्होंने चुनावी जोखिम से खुद को बचा लिया है, जबकि समर्थक इसे पार्टी के हित में उठाया गया कदम मानते हैं।


कार्यकर्ताओं का विरोध

गुस्से का इजहार


कई स्थानीय नेताओं ने आरोप लगाया कि मेहनती कार्यकर्ताओं को टिकट नहीं दिया गया। जन सुराज की नेता पुष्पा सिंह ने कहा कि वे शुरू से प्रशांत किशोर के साथ रही हैं, लेकिन उन्हें नजरअंदाज किया गया। उनका आरोप था कि सूची में शामिल उम्मीदवार स्थानीय स्तर से जुड़े नहीं हैं। इस पर पटना कार्यालय में हंगामा हुआ और नेताओं ने 'अन्याय' के खिलाफ नारेबाजी की।


प्रशांत किशोर की सफाई

पीके का स्पष्टीकरण


विवाद बढ़ने पर प्रशांत किशोर ने कहा कि टिकट उन लोगों को दिए गए हैं जिन्होंने पिछले दो वर्षों में पार्टी को आगे बढ़ाने में सबसे ज्यादा मेहनत की। उनका कहना है कि उनका उद्देश्य बिहार को सुधारने वाले लोगों को सामने लाना है, न कि केवल लोकप्रिय चेहरों को। उन्होंने दावा किया कि सूची में सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया गया है और चयन पूरी तरह से मेहनत के स्तर पर आधारित रहा है।


नाराज़गी को समझा

स्वाभाविक असंतोष


प्रशांत किशोर ने स्वीकार किया कि इतनी बड़ी पार्टी में कुछ लोगों की नाराज़गी होना स्वाभाविक है। हजारों कार्यकर्ताओं में से केवल 243 को ही टिकट मिल सकता है, इसलिए बाकी कार्यकर्ताओं का असंतोष समझ में आता है। उन्होंने कहा कि पार्टी में किसी एक का दबदबा नहीं है और टिकट वितरण में पूरी निष्पक्षता बरती गई है। उन्होंने समर्थकों से अपील की कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से ऊपर उठकर बिहार के बदलाव को प्राथमिकता दें।


राजनीतिक गतिविधियाँ तेज

सियासी हलचल


चुनावी तारीखों की घोषणा होते ही एनडीए और महागठबंधन में सीट बंटवारे की बातचीत जारी है। जन सुराज ने अपनी पहली उम्मीदवार सूची जारी कर सक्रियता दिखाई है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नई पार्टी के लिए आंतरिक एकजुटता बनाना सबसे बड़ी चुनौती होगी। जनता के बीच पैदल यात्रा से बनी छवि को टिकट विवाद कमजोर न कर दे।


जन सुराज की चुनौतियाँ

कठिन राह


पहली सूची के बाद हुए विरोध ने दिखा दिया कि पार्टी के भीतर अनुशासन और भरोसे की बड़ी परीक्षा बाकी है। प्रशांत किशोर के सामने चुनौती है कि वे अपने 'साफ राजनीति' और 'जनभागीदारी' के वादों को वास्तविकता में बदल सकें। कार्यकर्ताओं की नाराज़गी दूर करना और जनता का भरोसा जीतना ही जन सुराज के भविष्य का मार्ग तय करेगा।